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This Article is From Jun 22, 2022

Skand Sashti Vrat 2022: सुखी संतान के लिए इस दिन रखा जाएगा स्कंद षष्ठी व्रत, जानें तिथि और महत्व

Skand Sashti Vrat 2022: स्कंद षष्ठी का व्रत संतान के सुखी जीवन के लिए रखा जाता है. इस बार यह व्रत 5 जुलाई को पड़ने वाला है.

Skand Sashti Vrat 2022: सुखी संतान के लिए इस दिन रखा जाएगा स्कंद षष्ठी व्रत, जानें तिथि और महत्व
Skand Sashti Vrat 2022: स्कंद षष्ठी का व्रत रखने से संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

Skand Sashti Vrat 2022: स्कंद षष्ठी का व्रत शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि (Sashti) को रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव (Lord Shiv) और मां पार्वती के पुत्र कार्तिकेय (Kartikeya) की पूजा होती है. इस दिन भक्त भगवान कार्तिकेय को प्रसन्न करने के लिए विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार कुमार कार्तिकेय का एक नाम स्कंद कुमार भी है. मान्यतानुसार स्कंद षष्टी व्रत (Skand Sashti Vrat) के प्रभाव से संतान का जीवन सुखी रहता है. इस बार स्कंद षष्ठी व्रत  7 जुलाई, मंगलवार को रखा जाएगा. आइए जानते हैं स्कंद षष्ठी व्रत की तिथि, पूजा- विधि और महत्व.

स्कंद षष्ठी व्रत, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त | Skand Sashti Vrat 2022 Date and Shubh Muhurat

पंचांग के मुताबिक स्कंद षष्ठी तिथि का आरंभ 5 जुलाई, मंगलवार को 2 बजकर 57 मिनट पर होगा. जबकि षष्ठी तिथि का समापन 6 जुलाई को 7 बजकर 19 मिनट पर होगा. स्कंद षष्ठी का व्रत 5 जुलाई को रखा जाएगा. 

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स्कंद षष्ठी व्रत पूजा विधि | Skand Sashti Vrat Puja Vidhi


स्कंद षष्ठी व्रत के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान कार्तिकेय का स्मरण किया जाता है. उसके बाद मंदिर में जाकर भगवान शिव और उनके पूरे परिवार की पूजा की जाती है. पूजन सामग्री के रूप में फल, फूल, माला, अक्षत, रोली आदि का इस्तेमाल किया जाता है. भगवान शिव और मां पार्वती को मिष्ठान का भोग लगाया जाता है. पूजन के बाद यथासंभव दान किया जाता है.           

स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व | Significance of Skand Sashti Vrat

स्कंद षष्ठी का व्रत (Skand Sashti Vrat) रखने से व्रती को संतान सुख की प्राप्ति होती है. साथ ही संतान संबंधी समस्या का भी निवारण होता है. संतान के उन्नति के लिए रखा जाने वाला यह व्रत दक्षिण भारत में बहुत अधिक लोकप्रिय है. ऐसी मान्यता है कि स्कंद षष्ठी का व्रत (Skand Sashti Vrat) करने वाले को लोभ, मोह, क्रोध और अहंकार से मुक्ति मिल जाती है. साथ ही उन्हें धन, यश और वैभव में वृद्धि होती है.  शीरीरिक कष्टों और रोगों से छुटकारा मिल जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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