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This Article is From Oct 13, 2023

Shardiya Navratri 2023: मां गौरी से लेकर मां ब्रह्मचारिणी तक ये हैं मां दुर्गा के नौ अवतार, जानें हर एक स्वरूप का महत्व

Shardiya Navratri: नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. लेकिन, उनके हर एक रूप का महत्व क्या है और उस रूप में मां कैसी दिखती हैं, आइए हम आपको बताते हैं.

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Shardiya Navratri 2023: मां गौरी से लेकर मां ब्रह्मचारिणी तक ये हैं मां दुर्गा के नौ अवतार, जानें हर एक स्वरूप का महत्व
Nav Durga: जानिए मां दुर्गा के नौ रूपों के बारे में.

Shardiya Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि को लेकर हर तरफ तैयारियां जोरो-शोरों पर हैं. इस बार 15 अक्टूबर से लेकर 23 अक्टूबर 2023 तक शारदीय नवरात्रि रहेगी. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा (Goddess Durga) के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा की जाती है और उनके हर एक रूप का विशेष महत्व होता है. ऐसे में आज हम आपको बताते हैं मां शैलपुत्री (Ma Shailputri) से लेकर ब्रह्मचारिणी और महागौरी से लेकर सिद्धिदात्री तक के स्वरूप कैसे हैं और इन रूपों का महत्व क्या है. 

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मां दुर्गा के नौ रूप 

मां शैलपुत्री 

आत्मदाह के बाद देवी पार्वती ने भगवान हिमालय की बेटी के रूप में जन्म लिया था. इस रूप में वो मां शैलपुत्री कहलाईं थी. शैली का मतलब पर्वत होता है, इसलिए पर्वत की बेटी का नाम शैलपुत्री है.

मां ब्रह्मचारिणी 

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाती है. कहते हैं मां पार्वती ने अपने कुष्मांडा (Kushmanda) स्वरूप के बाद दक्ष प्रजापति के घर जन्म लिया था. इस अवतार में देवी पार्वती एक महान सती थीं. इस दिन उनके अविवाहित रूप की पूजा की जाती है. कहते हैं कि इस रूप में मां ब्रह्मचारिणी ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी.

मां चंद्रघंटा 

मां चंद्रघंटा देवी मां पार्वती का विवाहित अवतार हैं. जब भगवान शिव से उनका विवाह हुआ था. इस रूप में देवी ने अपने माथे पर अर्धचंद्र सजाया हुआ था. इसलिए उन्हें मां चंद्रघंटा के नाम से बुलाया जाता है.

मां कुष्मांडा

देवी पार्वती ने सिद्धिदात्री रूप धारण करने के बाद सूर्य के केंद्र के अंदर रहना शुरू कर दिया था ताकि सूर्य पूरे ब्रह्मांड को ऊर्जा दे सके. मां कुष्मांडा के सूर्य के अंदर रहने की शक्ति और क्षमता के चलते ही उन्हें मां कुष्मांडा कहा जाता है. इस रूप में देवी के आठ हाथ हैं और उन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है.

मां स्कंदमाता

जब देवी पार्वती भगवान कार्तिकेय की मां बनीं तो उन्हें स्कंदमाता (Ma Skandmata) के रूप से जाना जाने लगा. इस रूप में देवी मां शेर पर सवार रहती हैं और अपनी गोद में शिशु मुरुगन को रखती हैं. वो कमल के फूल पर विराजमान रहती हैं और पद्मासना के नाम से भी उन्हें जाना चाहता है.

मां कात्यायनी

राक्षस महिषासुर का वध करने के बाद मां के कात्यायनी रूप की पूजा की जाती है. ये देवी का सबसे उग्र रूप होता है और उन्हें योद्धा देवी के नाम से भी जाना जाता है. 

मां कालरात्रि

देवी पार्वती ने जब शुंभ और निशुंभ राक्षसों का वध किया था, तो उन्होंने देवी कालरात्रि (Devi Kalratri) का रूप धारण किया था. उन्हें देवी पार्वती के सबसे उग्र रूपों में से एक माना जाता है. मां कालरात्रि का रंग सांवला है और वो गधे पर सवार रहती हैं. उनके चार हाथ होते हैं. दाहिने हाथ अभय और वरद मुद्रा में होते हैं जबकि बाएं हाथ में तलवार और लोहे का हुक होता है.

मां महागौरी

16 साल की उम्र में देवी शैलपुत्री बहुत सुंदर थीं और उनके स्वर्ण रूप को ही देवी महागौरी के नाम से जाना जाता है और उनकी खूबसूरती की तुलना शंख, चंद्रमा और कुंड के सफेद फूलों से की जाती है.

मां सिद्धिदात्री

जब माता पार्वती भगवान शिव के बाएं भाग से प्रकट हुई थीं तो उस रूप को सिद्धिदात्री (Siddhidatri) रूप के नाम से जाना जाता है. इस स्वरूप के बाद ही भगवान शिव को अर्धनारीश्वर नाम मिला था. कहते हैं इस रूप में देवी अपने भक्तों पर सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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