जानिए कब है फाल्गुन का दूसरा शनि प्रदोष व्रत, इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने पर मिलेगा भोलेनाथ का आशीर्वाद

Pradosh Vrat 2023: फाल्गुन के शुक्ल पक्ष की त्रयोदिशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाएगा. यह इस माह का दूसरा शनि प्रदोष व्रत होगा. 

जानिए कब है फाल्गुन का दूसरा शनि प्रदोष व्रत, इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने पर मिलेगा भोलेनाथ का आशीर्वाद

Shani Pradosh Vrat Date: इस दिन रखा जाएगा फाल्गुन मास का दूसरा प्रदोष व्रत. 

Shani Pradosh Vrat 2023: प्रदोष व्रत की अत्यधिक धार्मिक मान्यता होती है. माना जाता है कि जो भक्त प्रदोष व्रत रखते हैं उन्हें भगवान शिव ILord Shiva) की विशेष कृपा प्राप्त होती है. हर माह 2 प्रदोष व्रत पड़ते हैं. जल्द ही फाल्गुन मास का दूसरा शनि प्रदोष व्रत मनाया जाना है. शनिवार (Saturday) के दिन पड़ने के चलते इसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं. फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदिशी तिथि को प्रदोष व्रत मनाया जाता है. जानिए शनि प्रदोष व्रत की तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त. 

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शनि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त | Shani Pradosh Vrat Shubh Muhurt 

हिंदू पंचांग के अुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदिषी तिथि 4 मार्च, शनिवार सुबह 11 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी और तिथि की समाप्ति अगले दिन 5 मार्च, रविवार दोपहर 2 बजकर 7 मिनट पर होने वाली है. इस चलते 4 मार्च के दिन ही शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा. 

पूजा के शुभ मुहूर्त (Puja Shubh Muhurt) की बात करें तो शनि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त 4 मार्च की शाम 6 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ हो रहा है जो रात 8 बजकर 50 मिनट तक रहने वाला है. इस शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा-आराधना का विशेष लाभ भक्तों को मिल सकता है. 

शनि प्रदोष व्रत के दिन शिववास है और रुद्राभिषेक का योग बन रहा है. इस प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) के दिन भगवान भोलेनाथ का वास सुबह 11 बजकर 43 मिनट पर कैलाश पर्वत पर होने वाला है. इसके बाद वे वास नदी में रहेंगे. इन दोनों ही स्थितियों में रुद्राभिषेक करना बेहद शुभ माना जाता है. मान्यतानुसार भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं. 


ऐसे करें पूजा 

  • शनि प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहने जाते हैं. 
  • इस दिन सफेद रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है. 
  • इसके बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है. 
  • पूजा करने से पहले मंदिर को साफ कर लिया जाता है. 
  • अब भोलेनाथ की पूजा करें, उन्हें भोग (Bhog) लगाएं और पूजा के बाद किसी तरह का अन्न ग्रहण ना करें. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)