
Naagpanchami 2025 : श्रावण शुक्ल पंचमी को नाग पंचमी कहते हैं. इस दिन नागों की पूजा की जाती है. गरुड़ पुराण में ऐसा सुझाव दिया गया है कि नाग पंचमी के दिन घर के मुख्य दरवाजे के दोनों बगल में नागों की मूर्ति बनाकर प्रमुख नागों का पूजन किया जाता है. पंचमी नागों की तिथि है. ज्योतिष के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं. अर्थात शेषनाग आदि सर्प राजों का पूजन पंचमी तिथि को होना चाहिए. सुगंधित पुष्प तथा दूध सांपों को अतिप्रिय है. गांव में इसे "नागचैयां" कहते हैं. सावन के महीने में या फिर नाग पंचमी के दिन चांदी के नाग-नागिन भी लोग खरीदते हैं. आखिर इसके पीछे की मान्यता और नाग पंचमी पर्व की कथा क्या है, आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य अरविंद मिश्र से.
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क्यों खरीदते हैं चांदी के नाग-नागिन
जिन लोगों की जन्म कुंडली में काल सर्प दोष विद्यमान हो वे लोग नाग पंचमी के दिन चांदी के नाग नागिन का जोड़ा भगवान शिव के शिवलिंग पर अर्पित करें अथवा किसी संपेरे से नाग नागिन का जोड़ा रूपये दे कर खरीद लें, और सपेरे को जंगल में ले जा कर उससे नाग नागिन को मुक्त करा दें. एक बात का ध्यान दीजिए यह उपाय करते समय संपेरे को अपने साथ ले आएं ताकि वो उन्हें पुनः न पकड़ सके. ये अचूक उपाय है कुंडली के सर्प दोष से मुक्त होने का.
जरूरी बात आप यह उपाय नाग पंचमी के अलावा सावन के किसी भी सोमवार के दिन भी कर सकते हैं.
कब है नाग पंचमी 2025
इस वर्ष 29 जुलाई 2025 को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा. पंचमी तिथि 28 जुलाई को रात्रि 11 बजकर 24 मिनट से शुरू होगी, जो 29 जुलाई को रात्रि 12 बजकर 46 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार नाग पंचमी 29 जुलाई को होगी.
नाग पंचमी की कथा
एक देवरानी-जेठानी थी एक दिन दोनों मिट्टी लेने गई वहां ग्वाल गाय चरा रहे थे. तभी एक सर्प निकल आया. मिट्टी खोदते खोदते देवरानी ने डलिया से ढक दिया. जब ग्वाले चले गए, तब डलिया हटा दी. तब उसमें से सर्प निकला. सर्प ने कहा तुम्हें जो मांगना हो, मांग लो. उसने कहा मेरे पास भाई नहीं है. सर्प ने कहा कि मैं बारह वर्ष का भैया बनकर आऊंगा. तुम मेरे साथ आ जाना. तब वह घर पहुंची. नाग देवता उसके घर पर 12 वर्ष का लड़का बनकर आ गए और उसकी सास से कहा मां जी राम-राम , मैं अपनी बहिन को बुलाने आया हूं. सास ने कहा - मैंने तो इसका कोई भाई नहीं सुना ? भैया ने कहा मैं परदेश चला गया था. अब मैं अपनी बहन को विदा करने आया हूं. सास ने विदा कर दिया और वह भैया के साथ चली गई. थोड़ी दूर पहुंची तभी भैया ने कहा बहन तुझे पता है कि मैं सर्प हूं. तुम मेरी पूंछ पकड़ कर चली आना. घर पहुंची तो उसने देखा कि वहां तो खूब महल बने हुए हैं. मैया रोज दूध ठंडा करके सब सर्पों को पिलाया करती हैं. एक दिन वह बोली मां आज मैं भाइयों को दूध पिलाऊंगी. मां बोली बेटी, दूध गर्म रह गया है तो यह तुझे खा जाएंगे. वह बोली नहीं मां, आज मैं ही दूध पिलाऊंगी. गरम दूध पर ही उसने घंटा बजा दिया. सुनकर सभी सर्प आ गए किसी की पूछ जल गई, किसी का मुंह जल गया. सर्पों ने कहा इसे हम डसेंगे. मां बोली कोई बहन को डसता है.जैसी आई है, वैसी विदा कर दो.
बहन ने कहा मैं पिताजी के दर्शन करुंगी. बेटा, वह तो अजगर हैं . उनके दर्शन क्या करेगी.वह रूठ कर बैठ गई. मैं तो दर्शन करूंगी. मां ने कोठरा खोल दिया. उसने पिता के दर्शन किए. उन्होंने कहा बेटी जो तुझे मांगना है मांग ले! पिताजी मुझे आपका हार चाहिए. उन्होंने कहा बेटी जो तू पहनेगी तो हीरा मणियों का हार और कोई पहनेगा तो सर्प है. सावन खत्म हुआ उसका पति बुलाने आ गया. खूब दे लेकर विदा किया गया. आधे रास्ते पहुंचा तो उसका पति बोला मैं अपनी धोती भूल गया हूं. वह बोली मेरी मां ने इतना दिया है, धोती लाकर क्या करोगे? वह बोला नहीं मैं तो लाऊंगा. वह धोती लेने गया तो देखा वहां महल दिवारे नहीं हैं. एक पेड़ पर धोती लटक रही है. लौटकर गया बोला बोल तू कहां गई थी. वह बोली मेरा पीहर तो है नहीं. नाग देवता मेरे भैया बनकर आए थे. घर पहुंची तो देखा कि छोरा छोरी गेहूं फैला रहे हैं. सास बोली तुम्हारे नाना नानी गेहूं नहीं दे जाएंगे. सो फैला रहे हैं. दूसरे दिन देखा कि गेहूं सोना चांदी हो गए. जब उससे झाड़ू टूट गई तो,तब भी सास यही कहे झाड़ू भी सोने चांदी की बन गई. इसके नाना नानी अच्छे हैं. जेठानी बोली ऐसा हार मुझको बनवा दो. सब जगह ले गए, लेकिन ऐसी हार नहीं बना. जेठानी बोली मुझे तो ऐसा ही हार चाहिए. सबने कहा एक दिन यह पहन लेगी. उसके पहनते ही वह सर्प हो गया. दूसरे दिन जब देवरानी ने पहना तो वह फिर सर्प का हार बन गया. तब देवरानी ने पूछा तो उसने कहा नाग देवता ने मुझे यह हार दिया था. जो कोई इस कहानी को पढ़ता है और सुनता है. उसकी सब मनोकामना पूर्ण होती है.
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