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सावन में भक्त धारण करते हैं त्रिपुंड तिलक, जानिए इस तिलक का महत्व और लगाने का सही तरीका

सावन में शिव भक्त भस्म को तिलक के रूप में ललाट समेत शरीर के विभिन्न अंगों पर अंकित करते हैं. इसे शिव त्रिपुंड तिलक कहा जाता है.

सावन में भक्त धारण करते हैं त्रिपुंड तिलक, जानिए इस तिलक का महत्व और लगाने का सही तरीका
Importance of Shiv Tripund Tilak : भस्म में जल मिलाकर मध्यमा और अनामिका अंगुली से भौंहों के मध्य से ललाट तक रेखा खींची जाती है.

Shiv Tripund Tilak in sawan: सावन माह (Sawan) भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए समर्पित होता है. इस माह में शिव भक्त हर दिन भोलेनाथ की पूजा करते हैं. इसके साथ ही इस माह में भस्म को भी बहुत मंगलकारी माना गया है. शिव भक्त भस्म को तिलक के रूप में ललाट समेत शरीर के विभिन्न अंगों पर अंकित करते हैं.  इसे शिव त्रिपुंड तिलक (Shiv Tripund Tilak) कहा जाता है. इसे ललाट, मस्तक, दोनों कानों, नासिका, कंठ, हाथ, हृदय, घुटनों और पिंडली पर लगाया जा सकता है. आइए जानते हैं शिव त्रिपुंड तिलक का महत्व (Importance of Shiv Tripund Tilak )और उसे लगाने का सही तरीका…..

क्या है त्रिपुंड - What is Tripund

ललाट पर भस्म खास तरह से लगाया जाता है. इसमें तीन तिरछी रेखाएं खींची जाती हैं. तिरछी रेखाओं के कारण ही इसे त्रिपुंड कहा जाता है. रेखाएं भौंहों के बीच से शुरू होकर ललाट तक खींची जाती है.

कैसे लगाएं त्रिपुंड - How to apply Tripund

भस्म में जल मिलाकर मध्यमा और अनामिका अंगुली से भौंहों के मध्य से ललाट तक रेखा खींची जाती है. इसके बाद अंगुठे की मदद से बीच की रेखा खींची जाती है.

त्रिपुंड तिलक का महत्व - Importance of Shiv Tripund Tilak 

शिव पुराण में वर्णन के अनुसार त्रिपुंड की हर रेखा नौ देवताओं का प्रतीक होत है. त्रिपुंड की पहली रेखा में प्रथम अक्षर, गार्हपत्य, अग्नि, पृथ्वी, धर्म, रजोगुण, ऋग्वेद, क्रियाशक्ति, प्रात:सवन तथा महादेव ये नौ देवता हैं. दूसरी रेखा में प्रणव का दूसरा अक्षर, दक्षिणाग्नि, सत्वगुण, यजुर्वेद, मध्यंदिनसवन, इच्छाशक्ति, अंतरात्मा, तथा महेश्वर ये नौ देवता हैं. तीसरी रेखा में प्रणव का तीसरा अक्षर, मकार, आहवनीय, अग्नि, परमात्मा, तमोगुण, द्युलोक, ज्ञानशक्ति, सामवेद, तृतीय सवन तथा शिव हैं.

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कहां लगाना चाहिए त्रिपुंड

सावन में शरीर पर 32, 16, 8 या पांच स्थानों पर त्रिपुंड लगाना शुभ माना जाता है. त्रिपुंड ललाट, मस्तक, दोनों कानों, नासिका, कंठ, हाथ, हृदय, घुटनों, पिंडली पर लगाया जा सकता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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