Saptah ke 7 dinon ke vrat ke niyam: सनातन परंपरा में देवी-देवताओं का आशीर्वाद और मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए व्रत का विधान है. प्रत्येक साधक अपनी कामना के अनुसार भगवान अथवा या फिर नवग्रहों के लिए समर्पित दिन पर पूरे विधि-विधान से व्रत रखता है. साधकों द्वारा यह व्रत न सिर्फ ईश्वरीय कृपा को पाने बल्कि तमाम तरह की कामनाओं को पूरा करने के लिए रखा जाता है. सप्ताह के अलग-अलग दिन रखे जाने वाले व्रत से जहां दिन विशेष देवी-देवता या फिर ग्रह विशेष का आशीर्वाद प्राप्त मिलता है, वहीं यह व्यक्ति के तन, मन और आत्मा की शुद्धि का माध्यम भी बनता है. आइए जानते हैं कि दु:ख, रोग, शोक को दूर करके सुख-सौभाग्य को दिलाने वाले इस व्रत को किस दिन शुरू करके कितने हफ्ते तक रखा जाना चाहिए.
रविवार का व्रत: यदि आप भगवान सूर्य देवता को समर्पित रविवार का व्रत करना चाहते हैं तो इसके लिए किसी भी मास के शुक्लपक्ष के रविवार को चुना जा सकता है. हिंदू मान्यता के अनुसार कम से कम 12 रविवार का व्रत करना चाहिए. रविवार के व्रत में नमक का सेवन नहीं किया जाता है.
सोमवार का व्रत: सोमवार का व्रत शुरू करने के लिए सावन का महीना अत्यंत ही शुभ माना गया है क्योंकि यह देवों के देव महादेव की पूजा के लिए ही समर्पित है. इसके अलावा आप चाहें तो चैत्र, वैशाख, कार्तिक में भी इस व्रत को शुक्लपक्ष के सोमवार से प्रारंभ कर सकते हैं. सावन सोमवार के कम से कम 16 व्रत करने चाहिए.

मंगलवार का व्रत: मंगलवार का व्रत हनुमान जी और मंगल देवता की पूजा के लिए समर्पित माना जाता है. इस व्रत को किसी भी मास के शुक्लपक्ष के मंगलवार को प्रारंभ किया जा सकता है. इस व्रत को कम से कम 21 या फिर 45 सप्ताह तक करना चाहिए. हिंदू मान्यता के अनुसार यह व्रत बजरंगी की कृपा बरसाने वाला माना गया है.
बुधवार का व्रत: हिंदू मान्यता के अनुसार बुधवार का दिन भगवान श्री गणेश जी और नवग्रहों के राजकुमार बुध देवता को समर्पित है. ऐसे में इन दोनों देवताओं देवताओं का आशीर्वाद दिलाने वाले बुधवार व्रत को किसी भी मास के शुक्लपक्ष में पड़ने वाले बुधवार से प्रारंभ किया जा सकता है. इस व्रत को कम से कम 7 बुधवार जरूर करना चाहिए. आप चाहें तो इसे 21 या फिर 45 व्रत रखना चाहिए.
गुरुवार का व्रत: सनातन परंपरा में गुरुवार का व्रत भगवान श्री विष्णु और देवताओं के गुरु बृहस्पति की पूजा के लिए समर्पित है. हिंदू मान्यता के अनुसार सुख सौभाग्य की कामना को पूरा करने वाले गुरुवार व्रत को किसी भी मास के शुक्लपक्ष में पड़ने वाले बृहस्पतिवार से प्रांरभ किया जा सकता है. साधक को इस व्रत को कम से कम 16 व्रत जरूर करना चाहिए. इस व्रत में केले के पेड़ की विशेष रूप से पूजा की जाती है. गुरुवार के व्रत को गुडलक बढ़ाने के लिए किया जाता है.
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शुक्रवार का व्रत: सनातन परंपरा में शुक्रवार का व्रत शक्ति की साधना या फिर शुक्र देवता की पूजा के लिए किया जाता है. इस व्रत को किसी भी मास के शुक्लपक्ष में पड़ने वाले शुक्रवार से प्रारंभ किया जा सकता है. इस व्रत को कम से कम 21 शुक्रवार जरूर करना चाहिए. शुभता के लिए साधक को शुक्रवार व्रत वाले दिन सफेद रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए. कुछ लोग इस व्रत को 31 सप्ताह तक लगातार करते हैं.
शनिवार का व्रत: शनिवार का दिन न्यायधीश कहे जाने वाले शनि देवता की पूजा के लिए समर्पित है. शनिदेव से जुड़े इस व्रत को श्रावण के महीने में प्रारंभ करना अधिक शुभ माना गया है. इस व्रत को आप अपने सामर्थ्य या संकल्प के अनुसार 19 या फिर 51 सप्ताह तक रख सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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