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This Article is From Dec 14, 2023

Saphala Ekadashi 2024: साल की पहली एकादशी पड़ रही है इस दिन, जानिए तिथि और विष्णु पूजा का शुभ मुहूर्त

Saphala Ekadashi: सफला एकादशी का विशेष धार्मिक महत्व है. जानिए आने वाले साल के पौष माह में किस दिन रखा जाएगा सफला एकादशी का व्रत और किस मुहूर्त में की जा सकती है पूजा. 

Saphala Ekadashi 2024: साल की पहली एकादशी पड़ रही है इस दिन, जानिए तिथि और विष्णु पूजा का शुभ मुहूर्त
Saphala Ekadashi Date: सालभर में 24 एकादशी पड़ती हैं. 

Saphala Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष धार्मिक महत्व होता है. माना जाता है एकादशी के दिन व्रत रखने पर भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और जीवन से कष्टों का निवारण करते हैं. मान्यतानुसार एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat) रखने पर ही मोक्ष की प्राप्ति होती है और एकादशी की पूजा अश्वमेध हवन जितना पूण्य देती है. पंचांग के अनुसार, पौष माह में सफला एकादशी मनाई जाती है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, जनवरी में पौष का महीना लगता है. यहां जानिए सफला एकादशी जनवरी में किस दिन पड़ रही है और किस तरह सफला एकादशी के दिन पूजा संपन्न की जा सकती है. 

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सफला एकादशी की पूजा | Saphala Ekadashi Puja 

पंचांग के अनुसार, साल 2024 में 7 जनवरी, रविवार के दिन सफला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. सफला एकादशी तिथि का आरंभ 7 जनवरी की देररात 12 बजकर 41 मिनट पर पर हो जाएगा और इस तिथि का समापन 8 जनवरी की रात 10 बजकर 41 मिनट पर होगा. इस चलते, सफला एकादशी के व्रत का पारण 8 जनवरी सुबह 7 बजकर 15 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 20 मिनट के बीच किया जा सकता है. 

सफला एकादशी से यह मान्यता जुड़ी है कि इस व्रत को रखने पर जीवन में सुख और सौभाग्य आता है. इस दिन व्रत रखा जाए तो मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में सफलता भी आती है. इस दिन पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान किया जाता है. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का ध्यान करते हुए एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस दिन पीले रंग की वस्तुओं का अत्यधिक महत्व होता है. पीले वस्त्र, पीले फूल और पीला प्रसाद पूजा सामग्री में सम्मिलित किया जाता है. 

पूजा करने के लिए भगवान विष्णु के समक्ष दीपक जलाकर हल्दी और कुमकुम से तिलक करते हैं. इसके बाद मिठाई और तुलसी दल भगवान के समक्ष अर्पित किए जाते हैं. पूजा में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी बेहद शुभ होता है. इसके बाद आरती की जाती है और पूजा सम्पन्न होती है.   

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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