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This Article is From Jun 17, 2022

Sankashti Chaturthi 2022: आषाढ़ मास का पहला संकष्टी चतुर्थी व्रत आज, जानें पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त

Sankashti Chaturthi 2022: आषाढ़ मास का पहला संकष्टी चतुर्थी व्रत आज है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा बेहद फलदायी होती है.

Sankashti Chaturthi 2022: आषाढ़ मास का पहला संकष्टी चतुर्थी व्रत आज, जानें पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त
Sankashti Chaturthi 2022: संकष्टी चतुर्थी व्रत के दौरान भगवान गणेश की आराधना होती है.

Sankashti Chaturthi 2022: आषाढ़ मास की संकष्टी चतुर्थी  17 जून को यानि आज है. इस दिन भगवान गणेश (Lord Ganesha) के निमित्त व्रत रखने का विधान है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है. मान्यता है कि गणेश जी (Ganesh Ji) ना सिर्फ बुद्धि देते हैं, बल्कि रिद्धि-सिद्धि के भी दाता हैं. कहा जाता है कि इनकी कृपा के बिना कोई भी शुभ कार्य पूरा नहीं होता है. इसलिए इस दिन गणेश पूजा का खास महत्व है. इसके अलावा इस दिन को ज्योतिष का एक योग खास बना रहा है. इस योग में की गई पूजा से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. 


 

संकष्टी चतुर्थी  शुभ मुहूर्त | Sankashti Chaturthi Shubh Muhurat

पंचांग के मुताबिक आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 17 जून, शुक्रवार को यानि आज सुबह 06 बजकर 10 मिनट से शुरू है. जबकि इस तिथि का समापन 18 जून, शनिवार को सुबह 2 बजकर 59 मिनट पर होगा. भगवान गणेश की पूजा के लिए अभिजित मुहूर्त 17 जून को यानि आज 11 बजकर 30 मिनट से दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक रहेगा. संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बिना पूजा पूरी नहीं मानी जाती है. ऐसे में सकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय का समय रात्रि 10 बजकर 03 मिनट पर है. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग 18 जून को सुबह 09 बजकर 56 मिनट से शाम 05 बजकर 03 मिनट तक है. 

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संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि | Sankashti Chaturthi Puja Vidhi

संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह स्नान के बाद शुभ मुहूर्त में व्रत और पूजा का संकल्प लिया जाता है. गणेश जी का अभिषेक किया जाता है. साथ ही उन्हें धूप, दीप, चंदन, फूल, फल, वस्त्र, दीपक अक्षत, दूर्वा इत्यादि अर्पित किया जाता है. इसके अलावा इस दिन गणेश चालीसा का पाठ किया जाता है. संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ किया जाता है. पूजा के अंत में गणपति जी की आरती की जाती है. रात में चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद व्रत का पारण किया जाता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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