39 वर्षीय पीड़ित महिला का नाम कनक दुर्गा है. उसे दक्षिणपंथी विचाधारा के प्रदर्शनकारियों से लगातार धमकियां मिल रही थीं. इन्हीं धमकियों के मद्देनजर वह पिछले दो हफ्तों से छिपी हुई थी. मंगलवार सुबह जब वह अपने घर पहुंची तो उसकी सास ने उसके सिर पर वार कर दिया. खबर के मुताबिक महिला की हालत स्थिर बनी हुई है और उसे मेडिकल टेस्ट के लिए अस्पताल रेफर किया गया है.
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आपको बता दें कि कनक दुर्गा ने 40 साल की एक अन्य महिला बिंदु अम्मीनी के साथ सबरीमाला मंदिर में दर्शन कर इतिहास रच दिया था. पिछले 13 दिनों से दोनों महिलाएं कोच्चि के बाहर किसी अज्ञात स्थान पर छिपी हुईं थीं.
सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को ऐतिहासिक फैसला देते हुए सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर लगाई कई धार्मिक पाबंदी को हटा दिया था. कोर्ट के फैसले के बाद से ही मंदिर के आसपास तनाव का माहौल है. श्रद्धालुओं और प्रदर्शनकारियों को कोर्ट का फैसला रास नहीं आया और वे लगातार इस बात पर जोर देते रहे कि सबरीमाला में 10 से 50 बरस की महिलाओं को प्रवेश नहीं करना चाहिए. उनका कहना था कि यह धर्म के खिलाफ है.
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कोर्ट के फैसले के बाद से कई महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने मंदिर जाने के सभी रास्तों को ब्लॉक कर दिया. आखिरकार कनक दुर्गा और बिंदु अम्मीनी ने पुलिस के घेरे में दो जनवरी को तड़के मंदिर में प्रवेश किया और भगवान अयप्पा के दर्शन किए.
कनक दुर्गा सरकारी कर्मचारी हैं जबकि बिंदु अम्मीनी केरल की कन्नूर यूनिवर्सिटी में कानून की लेक्चरर हैं. मंदिर में दर्शन करने के बाद कनक दुर्गा ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा था, "मुझे पता है कि मेरी जिंदगी खतरे में आ जाएगी, लेकिन फिर भी मैं मंदिर जाना चाहती थी. मुझे गर्व है कि हमने मंदिर में प्रवेश करने की इच्छुक महिलाओं के लिए रास्ता आसान बना दिया है."
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यह कहते हुए कि उनके परविार वाले इसके खिलाफ उन्होंने कहा, "यह श्रद्धा की बात तो है ही लेकिन यह लैंगिक समानता का मुद्दा भी है." उन्होंने यह भी बताया था कि मंदिर की यात्रा के दौरान कई लोगों ने उन्हें रोकने की कोशिश की जिसमें उनके दोस्त और पुलिसवाले शामिल थे.
मंदिर में उनके प्रवेश के बाद खूब प्रदर्शन हुए. यहां तक कि दक्षिणपंथी प्रदर्शनकारियों, बीजेपी और कांग्रेस के सदस्यों ने केरल में एक दिन की हड़ताल का आयोजन भी किया था.
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