Worship Of Lord Surya: सनातन धर्म में प्रकृति के प्रति आस्था (faith ) और पूजा का विशेष महत्व है. इसमें सूर्य, चंद्रमा से लेकर पेड़ पौधे तक शामिल हैं. सूर्य देव (Lord Surya) को जीवन का स्रोत माना जाता है और सूर्य अराधना (worship of Lord Surya ) से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं. उनकी कृपा से जीवन में सफलता और उन्नति का मार्ग बनने लगता है. प्रतिदिन सुबह स्नान के बाद सूर्य देव को विधि विधान से जल चढ़ाने (Offering Water To Lord Surya) भर से सूर्य देव प्रसन्न हो जाते हैं. आइए जानते हैं सूर्य देव को अर्घ्य देने का सही तरीका.
सूर्य देव को जल चढ़ाने का सही तरीका
तांबे का पात्र
सूर्य देव को जल चढ़ाने के लिए हमेशा तांबे के लोटे का ही उपयोग करना चाहिए. भूलकर भी कांच, चांदी, पीतल, स्टील के बर्तन को उपयोग नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से लाभ के बजाए आयु क्षीण होने का आशंका बन सकती है.
जल चढ़ाने का सही समय
सूर्य देव को हमेशा सूर्य उगने के एक घंटे तक जल चढ़ाना चाहिए. यह समय जल चढ़ाने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है.
ऐसे चढ़ाएं जल
सूर्य देव जल चढ़ाते समय पूर्व की दिशा में खड़े होकर दोनों हाथों से तांबे का लोटा हाथ में थामना चाहिए. हाथ सिर से लगभग आठ इंच ऊपर उठाकर सूर्य देव को जल चढ़ाना चाहिए. ध्यान रहे जल चढ़ाते समय सूर्य की रोशनी जल को पार कर शरीर पर पड़नी चाहिए.
जल में डालें ये चीजें
सूर्य देव को जल चढ़ाने के लिए लोटे के जल में लाल फूल और रोली अवश्य डालना चाहिए. लाल रंग के वस्त्र धारण कर जल चढ़ाने से भी उत्तम फलों की प्राप्ति होती है.
जरूर करें सूर्य मंत्र का जाप
सूर्य देव को जल चढ़ाते समय सूर्य मंत्र ऊं आदित्य नम: का जाप करना चाहिए और जल देने के बाद तीन बार घूमकर परिक्रमा करनी चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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