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ढोल-मंजीरे, डांस... इस शाही अंदाज में होगा 114 साल की अरुणाचल के 8 गांवों की रानी का अंतिम संस्कार

रानी फलियम वांगचा बहुत ही ज्ञानी महिला थीं. उन्होंने न सिर्फ रीति-रिवाजों को सहेजकर रखा बल्कि लोककथाओं और औषधीय प्रथाओं का संरक्षण भी किया.

ढोल-मंजीरे, डांस... इस शाही अंदाज में होगा 114 साल की अरुणाचल के 8 गांवों की रानी का अंतिम संस्कार
अरुणाचल रानी फलियम वांगचा का निधन.
  • अरुणाचल प्रदेश के तिरप ज़िले के नोक्टे समुदाय की 114 वर्षीय रानी फलियम वांगचा का अंतिम संस्कार आज होगा.
  • फलियम वांगचा का अंतिम संस्कार नोक्टे समुदाय की परंपराओं के अनुसार होगा, जिसमें 8 गांवों के लोग शामिल होंगे.
  • अंतिम यात्रा में पारंपरिक युद्ध नृत्यों और तोपों की सलामी के साथ रानी को शाही अंदाज में विदाई दी गई.
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म्यांमार की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश के तिरप ज़िले के नोक्टे समुदाय के आठ गांवों की 'सर्वोच्च रानी' मानी जाने वाली 114 साल की फलियम वांगचा का आज अंतिम संस्कार होना है. 28 जुलाई को अरुणाचल प्रदेश के दादम गांव में उन्होंने अंतिम सांस ली थी. अंतिम संस्कार से पहले उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई. यह अंतिम यात्रा नोक्टे समुदाय की ऐतिहासिक परंपराओं के तहत निकाली गई थी. अरुणाचल प्रदेश में आज भी यही परंपरा निभाई जाती है. नोक्टे समुदाय की परंपरा अरुणाचल की कई अनूठी परंपराओं में से एक है.

शाही अंदाज में होगा रानी का अंतिम संस्कार

शुक्रवार को, स्थानीय लोग एक जगह पर जुटे. उन्होंने पारंपरिक युद्ध नृत्यों, तोपों की सलामी देकर अपनी रानी को सदियों पुराने रीति-रिवाजों के साथ शाही अंदाज में अंतिम विदाई दी. नोक्टे परंपरा के मुताबिक, रानी का अंतिम संस्कार सिर्फ एक पारिवारिक या गांव तक सीमित नहीं होता, बल्कि दादम समेत उनके शासनकाल के सभी आठ गांवों के लिए एक सामूहिक समारोह होता है. रानी का अंतिम संस्कार शनिवार को होना है.

रानी ने परंपराओं के हिसाब से जिया जीवन

फलियम वांगचा का जीवन बहुत ही परंपराओं से भरा हुआ रहा. उन्होंने जीवन भर पवित्र अनुष्ठानों का पालन किया, जिसकी वजह से वह इस सर्वोच्च पद पर काबिज हुईं थीं. रानी के खास अनुष्ठानों में से एक थॉम-सियात था, जहां ग्रामीण उन्हें एक औपचारिक लकड़ी के ढोल पर बिठाकर उनके घर लेकर गए. कहा जाता है कि इसके बाद एक बाघिन उनकी आत्मा बन गई - जो उनकी शक्ति और अधिकार का प्रतीक थी.

8 गांव के लोग अंतिम संस्कार में हुए शामिल

रानी फलियम वांगचा बहुत ही ज्ञानी महिला थीं. उन्होंने न सिर्फ रीति-रिवाजों को सहेजकर रखा बल्कि लोककथाओं और औषधीय प्रथाओं का संरक्षण भी किया. उनके शाही अंतिम संस्कार की तैयारियां की जा रही हैं. आठ गांव के लोग उनकी शोक सभा में इकट्ठा हुए हैं. पारंपरिक ढोल वादक, नर्तक और शिकारी उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होंगे, ताकि नोक्टे शाही रीति-रिवाजों के हिसाब से उनको अंतिम सममान दिया जा सके.

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