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This Article is From May 06, 2020

Ramzan 2020: रमजान के होते हैं तीन चरण, जानिए अलग-अलग अशरे का महत्व

Ramzan 2020: इस्लाम में रमजान के पाक महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है और तीनों हिस्सों का अपना अलग महत्व बताया गया है. इन हिस्सों को तीन अशरों के तौर पर जाना जाता है. 

Ramzan 2020: रमजान के होते हैं तीन चरण, जानिए अलग-अलग अशरे का महत्व
Ramzan 2020: रमजान के महीने में 3 अशरे होते हैं.
नई दिल्ली:

Ramzan 2020: रहमत और बरकतों का महीना रमजान चल रहा है. रमजान (Ramadan 2020) का महीना हर मुसलमान के लिए बेहद अहम होता है. रमजान के पूरे महीने (29 या 30 दिन) तक मुस्लिम समुदाय के लोग रोजे (व्रत) रखते हैं. पाबंदी से नमाज पढ़ते हैं, कुरान की तिलावत (कुरान पढ़ना) करते हैं. हर दिन की नमाज के अलावा रमजान में रात के वक्त एक विशेष नमाज भी पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं. इस्लाम में रमजान के पाक महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है और तीनों हिस्सों का अपना अलग महत्व बताया गया है. इन हिस्सों को तीन अशरों के तौर पर जाना जाता है. 

क्या होता है अशरा?
अशरा अरबी का शब्द है, जिसका मतलब 10 होता है. यानी 10 दिन का समय एक अशरा कहलाता है. रमजान के महीने में तीन अलग-अलग स्टेज होती हैं, जिन्हें पहला अशरा, दूसरा अशरा और तीसरा अशरा कहा जाता है. इसमें रमजान के पहले 10 दिन को पहला अशरा कहा जाता है. जबकि 11वें रोजे से 20वें रोजे तक दूसरी स्टेज होती है, जिसे दूसरा अशरा कहते हैं. इसके बाद 21वें रोजे से 29 या 30वें रोजे तक तीसरी और आखिरी स्टेज होती है, जिसे तीसरा अशरा कहा जाता है.

इस्‍लामिक मान्‍यताओं के अनुसार रमजान के महीने के तीन अशरों के बारे में पैगंबर मोहम्मद ने कहा है, "रमजान की शुरुआत में रहमत है, इस महीने के बीच में मगफिरत यानी माफी है और इसके आखिर में जहन्नम (Hell) की आग से बचाव है." इसका मतलब ये है कि रमजान के पहले अशरे में बंदों पर अल्लाह की रहमत बरसती है. दूसरे अशरे में बंदों को गुनाहों से माफी मिलती है और आखिरी अशरे यानी रमजान के आखिरी 10 दिनों में इबादत के जरिये मुस्लिम समुदाय के लोग जहन्नम  (Hell) की आग से  खुद को बरी कर सकते हैं.

आज 6 मई को 12वां रोजा है, यानी अभी रमजान का दूसरा अशरा चल रहा है. इस्‍लामिक मान्‍यताओं के अनुसार इस अशरे में लोग इबादत करके अल्लाह से अपने गुनाहों की तौबा कर सकते हैं और गुनाह माफ करा सकते हैं. 

हालांकि, इन तीनों ही अशरों की विशेषताएं ऊपर बताई गई हैं वो आम तौर पर पूरे रमजान में लागू रहती हैं. लेकिन चूंकि रमजान पूरी तरह से इबादत का महीना होता है, इसलिए इसके तीन अलग-अलग अशरों को विशेष रूप से परिभाषित किया गया है.

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