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This Article is From May 22, 2020

Ramzan Alvida Jumma 2020: रमजान का आखिरी जुमा मुसलमानों के लिए क्यों होता है खास, जानिए अलविदा का महत्व

Ramzan Alvida Jumma 2020: अलविदा को रमजान के पाक महीने की विदाई के तौर पर भी जाना जाता है. कई लोग रमजान की विदाई होने पर इस दिन गमगीन भी हो जाते हैं.

Ramzan Alvida Jumma 2020: रमजान का आखिरी जुमा मुसलमानों के लिए क्यों होता है खास, जानिए अलविदा का महत्व
Ramzan Alvida Jumma 2020: रमजान के आखिरी जुमे को अलविदा कहते हैं.
नई दिल्ली:

Ramzan Alvida Jumma 2020 Significance: रमजान का पाक महीना अब खत्म होने वाला है. ईद (Eid) के चांद से पहले जो आखिरी जुमा होता है, उसे अलविदा जुमा (Alvida Jumma) कहते हैं. अलविदा का मतलब रमजान के पाक महीने की विदाई है. इस्लाम में रमजान (Ramzan) के अखिरी जुमे यानी अलविदा को सबसे अफजल करार दिया गया है. यूं तो जुमे की नमाज पूरे साल ही खास होती है लेकिन रमजान के आखिरी जुमे अलविदा की नमाज सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है.

हर मुसलमान के लिए अलविदा की नमाज बेहद अहम और खास होती है. अलविदा को छोटी ईद भी कहा जाता है. इस्लाम में मान्यता है कि अलविदा की नमाज के बाद सच्चे दिल से मांगी गई हर जायज दुआ अल्लाह कुबूल करता है और अपने बंदों को हर गुनाह से पाक-साफ कर देता है. इस बार रमजान का आखिरी जुमा यानी अलविदा जुमा 22 मई को है.

Ramzan Alvida Jumma 2020: अलविदा पर क्या करते हैं मुसलमान
अलविदा के दिन तमाम मुसलमान गुस्ल ( स्नान) करके पाक साफ कपड़े पहनते हैं. नमाज अदा करते हैं. कुरान की तिलावत करते हैं. पुरुष हमेशा की तरह मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं और महिलाएं घरों में. लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते सभी मस्जिदें बंद हैं. ऐसे में इस बार अलविदा की नमाज (Alvida Namaz) पुरुष घरों में ही पढ़ेंगे. अलविदा को रमजान के पाक महीने की विदाई के तौर पर भी जाना जाता है. कई लोग रमजान की विदाई होने पर इस दिन गमगीन भी हो जाते हैं.

हदीस में जुमे के दिन और नमाज (Friday Namaz) की खास फजीलत बताई गई है
कई हदीस में बताया गया है कि पैगंबर मोहम्मद साहब ने जुमे के दिन को हर मुसलमान के लिए ईद के दिन के समान बताया है. इस्लाम धर्म में माना जाता है कि जुमे की नमाज से पहले पैगंबर मोहम्मद स्नान करके नए और पाक कपड़े पहनते थे, खुश्‍बू (इत्र) लगाते थे, आंखों में सुरमा लगाकर नमाज के लिए जाते थे. यही वजह है कि हर मुसलमान जुमे की नमाज के लिए खास तैयारी करता है.

एक हदीस (धार्मिक किताब) में बताया गया है, जब जुमा आता है, हर मस्जिद के दरवाजे पर फरिश्ते (एंजेल) खड़े होते हैं और जुमे की नमाज के लिए आने वाले हर शख्स का नाम लिखते हैं और जब तक इमाम खुतबा (संबोधन) शुरू नहीं करते तब तक वे लोगों के नाम लिखते रहते हैं. 

इस्लाम धर्म में मान्यता है कि अल्लाह ने 'आदम' को जुमे के दिन ही बनाया था और इसी दिन आदम ने पहली बार जन्नत में कदम रखा था. ऐसी भी मान्यता है कि कयामत आने पर जुमे के दिन ही हिसाब-किताब होगा. हदीस में बताया गया है कि जुमे के दिन एक समय ऐसा आता है, जब अल्लाह अपने बंदों की हर जायज दुआ को कुबूल करता है.

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