
Rakshabandhan kab hai 2025 mein : भाई बहन के रिश्ते के लिए समर्पित पर्व रक्षाबंधन इस साल 9 अगस्त सावन पूर्णिमा के दिन मनाया जाएगा. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उनके अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु होने की कामना करती हैं. वहीं, भाई अपनी बहन को उनके हर सुख-दुख में साथ देने का वचन देते हैं. इस साल सुबह 5 बजकर 35 मिनट से दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त है.
आज के इस आर्टिकल में हम आपको रक्षाबंधन का भगवान श्री कृष्ण, देवी लक्ष्मी और रानी कर्मवती से क्या संबंध है, इससे जुड़ी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं...
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रक्षाबंधन से जुड़ी कहानियां - Stories related to Rakshabandhan
रक्षाबंधन का संबंध श्री कृष्ण सेएक बार भगवान कृष्ण के हाथ में चोट लगने से रक्त बहने लगा था तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर उनके हाथ में बांध दी थी. आपको बता दें कि जिस दिन यह घटना घटी थी उस दिन सावन की पूर्णिमा थी. आपको बता दें कि इसी बन्धन से ऋणी श्रीकृष्ण ने दुशासन द्वारा चीर हरण के समय द्रौपदी की लाज बचायी थी.
रक्षाबंधन का संबंध रानी कर्मवती सेवहीं, दूसरी कथा यह है कि मध्य कालीन इतिहास में एक ऐसी घटना मिलती है जिसमें चित्तौड़ की रानी कर्मवती ने दिल्ली के मुगल बादशाह हुमायूं के पास राखी भेजकर अपना भाई बनाया था. हुमायूं ने राखी की इज्जत की और उसके सम्मान की रक्षा के लिए गुजरात के बादशाह से युद्ध किया. उसी की स्मृति में यह पर्व हर साल सावन की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है.
रक्षाबंधन का संबंध माता लक्ष्मीएक अन्य कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का राजा बनने का वरदान दिया था. इसके बाद, माता लक्ष्मी, जो भगवान विष्णु की पत्नी हैं, राजा बलि के पास गईं और उन्हें राखी बांधकर अपना भाई बनाया.
फिर, उन्होंने राजा बलि से अपने पति को वापस लौटाने का वचन मांगा. इस प्रकार, माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधकर भगवान विष्णु को मुक्त कराया, और तभी से रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाने लगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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