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रक्षाबंधन पर भाई को कैसी राखी बांधें? जानें  ट्रेंडी, स्टाइलिश और वैदिक राखी के बीच का बड़ा अंतर

Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन के आते ही बाजार तमाम तरह की राखियों से पट गया है. इन दिनों लाइट वाली राखी से लेकर लाबुबु वाली राखी खूब ट्रेंड कर रही हैं, लेकिन आपके भाई की कलाई पर किस राखी को बांधने से बढ़ेगा उसका गुडलक, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

रक्षाबंधन पर भाई को कैसी राखी बांधें? जानें  ट्रेंडी, स्टाइलिश और वैदिक राखी के बीच का बड़ा अंतर
भाई की कलाई पर कैसी राखी बांधें ट्रेंडी या वैदिक?

Best rakhi for brother: रक्षाबंधन आते ही मेट्रो सिटी से लेकर गांव-कस्बों तक राखी का बाजार सज गया है. मार्केट में बच्चों से लेकर बड़ों तक को लुभाने वाली तमाम तरह की राखियां मिल रही हैं. सूत और रेशम के धागे से इतर अब सोने और चांदी से बनी राखियों का दौर है. तमाम तरह के कार्टून जैसे छोटा भीम (Chhota Bheem) , डोरेमान (doraemon), आदि कैरेक्टर वाली राखियों के साथ लाबुबु (Labubu) थीम वाली राखियों ने लोगों के बीच का अपना एक अलग ही आकर्षण बना रखा है, लेकिन लाख टके का सवाल ये है कि भाई की कलाई में बांधी जाने वाली ये (stylish rakhi) राखियां वैदिक या फिर कहें पारंपरिक राखी के मुकाबले कितनी पवित्र और शुभ हैं. आइए इसे विस्तार से जानते और समझते हैं. 

बच्चों को खूब लुभाती हैं खिलाने वाली राखी

राखी के बाजार में आपको तमाम तरह की राखियां मिल जाएंगी. किसी में लाइट जलती है तो किसी में खिलौने बने हुए हैं. राखी को बनाते समय बड़ों और बच्चों की जरूरतों का पूरा ख्याल रखा गया है. चूंकि भाई बहन के स्नेह का प्रतीक मानी जाने वाली राखी (Rakhi) अब स्टेटस सिंबल भी बनता जा रहा है, इसलिए हर कोई अपने भाई की कलाई पर एक अलग किस्म की राखी को बांधना चाहता है. यही कारण है कि बाजार में कोई अपने भाई के लिए कीमती नग वाली तो कोई ब्रेसलेट वाली राखी ढूढ़ता फिर रहा है. 

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क्या होता है रक्षा सूत्र वैदिक राखी

अखिल भारतीय विद्वत परिषद, काशी के महासचिव प्रो. कामेश्वर उपाध्याय के अनुसार सनातन परंपरा में राखी नहीं रक्षासूत्र (Raksha Sutra) और रक्षा पोटली (Raksha Potli) की परंपरा रही है और यह मंत्रों से अभिमंत्रित करने के बाद ही भाई की कलाई में बांधा जाता है. इसे लोग आजकल वैदिक राखी (Vaidik rakhi) भी कहते हैं. प्राचीन काल में युद्ध में जाते समय व्यक्ति को उसका पुरोहित अथवा घर की वरिष्ठ साधिका माता उसकी कलाई में पूजित और मंत्रों से अभिमंत्रित रक्षासूत्र बांधती थी. प्रो.कामेश्वर के अनुसार मंत्रों से अभिमंत्रित राखी के बगैर रक्षाबंधन का बंधन का कुछ भी अर्थ नहीं है. 

रक्षासूत्र को बांधने वाला पौराणिक मंत्र 

ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल.

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आखिर क्यों शुभ माना जाता है वैदिक रक्षासूत्र 

उस रक्षासूत्र में मंत्र (Rakhi ka Mantra) की शक्ति समाहित होती थी. हमारे यहां सूत, रेशमन या उन के धागे में इस मंत्र को प्रतिष्ठित किया जाता था. बिल्कुल वैसे ही जैसे विवाह के समय वर एवं वधू के हाथों में मंत्र से अभिमंत्रित रक्षा पोटली बांधी जाती है. इन रक्षासूत्र में मंत्र की शक्ति को धारण करने की क्षमता रहती है. कलाई में बंधे रक्षासूत्र का स्पर्श होते ही इसकी शक्ति आपके शरीर में प्रवेश हो जाती है और आपको बड़े से बड़े कार्य को करने का सामर्थ्य प्रदान करती है.

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राखी खरीदते समय रखें इस बात का ख्याल

रक्षाबंधन के पर्व पर भाई की कलाई पर कौन सी राखी ज्यादा बढ़िया लगेगी, इसका निर्णय आपको ही करना है, लेकिन आपको ये भी समझना होगा कि बड़ी‑बड़ी आंखों, नुकीले दांत और शैतानी मुस्कान लिए वाली लाबुबु राखी या फिर कार्टून शो से जुड़े किसी दूसरे कैरेक्टर पर बनी राखियां, क्या वैदिक राखी या फिर कहें मंत्रों से पूजित और अभिमंत्रित रक्षा पोटली की तरह शुभता और सौभाग्य प्रदान कर पाएंगी.  

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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