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This Article is From Sep 07, 2022

Rahu Ketu Prabhav: कुंडली का राहु-केतु किस तरह करता है जीवन को प्रभावित, जानें इसके शुभ-अशुभ प्रभाव

Rahu Ketu Prabhav: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली का राहु-केतु विशेष महत्व रखता है. ये कई बार शुभ फल तो कभी-कभी अशुभ फल भी देते हैं. आइए जानते हैं कुंडली के राहु-केतु का शुभ और अशुभ प्रभाव.

Rahu Ketu Prabhav: कुंडली का राहु-केतु किस तरह करता है जीवन को प्रभावित, जानें इसके शुभ-अशुभ प्रभाव
Rahu Ketu Prabhav: कुंडली का राहु-केतु इस प्रकार जीवन को प्रभावित करता है.

Rahu Ketu Prabhav: ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में राहु-केतु को छाया ग्रह के रूप में स्थान प्राप्त है. हालांकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से राहु-केतु (Rahu Ketu) का सौरमंडल में कोई अस्तित्व नहीं है. ज्योतिष के जानकार बताते हैं कि जब कुंडली में राहु-केतु से संबंधित दोष मौजूद होते हैं तो जातक को अनेक प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. राहु-केतु के दोष (Rahu Ketu Dosh) से पीड़ित जातक शारीरिक, मानसिक और आर्थिक दिक्कतों का सामना करता रहता है. राहु-केतु हमेशा अशुभ प्रभाव (Rahu Ketu Prabhav) ही देते हैं, ऐसा भी नहीं है. अगर किसी जातक की कुंडली में राहु-केतु शुभ ग्रहों के साथ है तो शुभ फल प्राप्त होता है. आइए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जानते हैं कि राहु-केतु किस प्रकार जीवन को प्रभावित कर सकता है और इसके शुभ-अशुभ प्रभाव क्या हैं.


 

कुंडली में राहु का नकारात्मक प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र के जानकारों के मुताबिक जब कुंडली में राहु से संबंधित किसी प्रकार का दोष उत्पन्न होता है तो सबसे पहले व्यक्ति का मन अशांत होने लगता है. साथ ही व्यक्ति को कम नींद आती है. आलस्य और कमजोरी बनी रही है.

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कुंडली में राहु का सकारात्मक प्रभाव

अक्सर लोग राहु का नाम सुनकर भयभीत हो जाते हैं. राहु को लोग हमेशा अशुभ फल देने वाला ग्रह मानते हैं. हालांकि वस्तुस्थिति इसके कुछ अलग है. दरअसल ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर कुंडली में राहु की स्थिति अच्छी हो तो वह शुभ फल देता है. जब कुंडली में राहु मजबूत स्थिति में होता है तो जातक को हर कार्य में सफलता मिलने लगती है. इसके साथ ही आर्थिक उन्नति के भी कई अवसर प्राप्त होते रहते हैं. इसके अलावा इंसान नौकरी में उच्च पद प्राप्त करता है. 

केतु का नकारात्मक असर 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु-केतु हमेशा उल्टी चाल चलते हैं. ये तकरीबन 18 महीने में एक बार राशि परिवर्तन करते हैं. इनके राशि परिवर्तन का असर उन लोगों पर सबसे अधिक होता है जिनकी कुंडली में ये अशुभ स्थिति में रहते हैं.  अगर किसी जातक की कुंडली में केतु अशुभ भाव में बैठा हो तो व्यक्ति को नींद, धन-हानि, आर्थिक परेशानी, पारिवारिक तनाव, संतान से कष्ट और जोड़ों में दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

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केतु का सकारात्मक असर

केतु न सिर्फ अशुभ फल देता है, बल्कि यह शुभ फल देता है. जब कुंडली में केतु शुभ भाव में बैठते हैं तो व्यक्ति को जीवन में मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा, धन और संतान से सुख प्राप्त होता है. कुंडली में केतु के शुभ प्रभाव से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ रहता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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