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विवाहित बेटी के घर पानी पिएं या नहीं, जानिए प्रेमानंद महाराज की सलाह

माता पिता का विवाहित बेटी के घर पानी पीने की मनाही एक तरह का लोकाचार है. आज के जीवन में इस तरह के लोकाचारों को लेकर संशय की स्थिति सामने आती रहती है. जानिए इस बारे में प्रेमानंद महाराज का क्या कहना है.

विवाहित बेटी के घर पानी पिएं या नहीं, जानिए प्रेमानंद महाराज की सलाह
प्रेमानंद महाराज के उत्तर से साफ है कि विवाहित बेटी के घर पानी पीने से माता पिता पर कोई दोष नहीं लगता है.

Premanand Maharaj advice on drinking water at daughter's home : भारत में आम जीवन से जुड़े कई तरह के लोकाचार प्रचलित हैं. इनमें कुछ बातों की मनाही आम है. आम तौर पर माता पिता का विवाहित बेटी के घर पानी पीने (Drinking water at daughter's home) की मनाही भी इसी तरह का लोकाचार है. आज के जीवन में इस तरह के लोकाचारों को लेकर संशय की स्थिति सामने आती रहती है. अधिकतर लोग समझ नहीं पाते हैं कि ये केवल लोकाचार है या इनके पीछे कोई कारण भी है. राधा रानी के अनन्य भक्त और वृंदावन में वाले प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन करने भारत ही नहीं कई देशों से बड़ी संख्या में भक्त वृंदावन पहुंचते हैं. इनमें प्रसिद्ध हस्तियां भी शामिल होती हैं. प्रेमानंद जी (Premanand Maharaj) सत्संग और प्रवचनों के माध्यम से भक्त और श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन करते हैं. श्रद्धालु दर्शन के ढेर सारे सवालों को लेकर भी उनके पास आते हैं. इनमें आध्यात्मिकता के बजाय सांसारिक जिंदगी से जुड़े सवाल भी होते हैं. हाल ही में एक श्रद्धालु ने प्रेमानंद महाराज जी से पूछा कि अगर माता-पिता विवाहित बेटी के घर पानी पी लें, तो क्या वे पाप के भागीदार हो जाते हैं? आइए जानते हैं इस बारे में महाराज ने क्या सलाह दी (Premanand Maharaj advice).

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बेटी के घर पानी पीने के सवाल पर प्रेमानंद महाराज का सुझाव - Premanand Maharaj advice on drinking water at daughter's home

महिला ने पूछा सवाल

माता-पिता का अपनी विवाहित बेटी के घर का पानी नहीं पीना, भारत में प्रचलित आम लोकाचार है. हालांकि कुछ लोग इस लोकाचार पर सवाल भी उठाते हैं. इसी से जुड़ा एक सवाल एक महिला ने प्रेमानंद जी महाराज पूछा कि क्या बेटी के घर का पानी पीने से माता पिता पाप के भागीदार बन जाते हैं. महिला ने इस सवाल को आगे बढ़ाते हुए कहा कि उसकी माता जी की तबीयत खराब रहती है, वह चाहती हैं कि वे अपनी मां को अपने घर में रखकर उनकी की सेवा करें लेकिन मां बाप की डर से घर नहीं आना चाहते हैं. उन्होंने महाराज से ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए, इस पर सलाह मांगी.

प्रेमानंद जी महाराज का सुझाव

प्रेमानंद जी महाराज ने सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हिंदू धर्म शास्त्रों में बेटा और बेटी में कोई अंतर नहीं किया गया है. लेकिन सनातन धर्म की पूज्य भावना और स्त्रियों का रूप पूजनीय होने के कारण बेटी को लक्ष्मी का स्वरूप मानकर लोग बेटी के घर में पानी पीना पाप मानते हैं. हालांकि, लोगों को ऐसा विचार रखना आज के समय में सही नहीं है. माता-पिता पर जितना अधिकार बेटे का होता है, उतना ही अधिकार बेटी का भी होता है. अगर माता-पिता की तबीयत ठीक नहीं रहती है, तो बेटे की तरह ही ये बेटी का दायित्व होता है कि वह उनकी सेवा करे. मां-बाप बेटी की घर पूरा जीवन बिता भी लें, तो कोई परेशानी नहीं होने वाली है. समय में साथ हर क्षेत्र में बदलाव आता है. ऐसे में सालों पहले बनाए गए लोकाचार आज के समय में भी सही हों, यह जरूरी नहीं है.

कोई दोष नहीं

प्रेमानंद महाराज के उत्तर से साफ है कि विवाहित बेटी के घर पानी पीने से माता पिता पर कोई दोष नहीं लगता है. जरूरी नहीं है कि जो लोकाचार पहले के समय में सही थे वे आज भी सही ही हों. 

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