
PM Narendra Modi visit Karni Mata mandir : प्रधानमंत्री मोदी ने आज राजस्थान के बीकानेर शहर में स्थित प्राचीन करणी माता मंदिर में दर्शन किए. आपको बता दें कि करणी माता को देवी दुर्गा का अवतार माना गया है. ये देवी बीकानेर और जोधपुर के राजपरिवारों की कुलदेवी मानी जाती हैं. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां दर्शन करने से शनि और राहु का दोष समाप्त होता है. इसके अलावा और क्या कुछ खास है करणी माता मंदिर से जुड़ा आज के इस लेख में विस्तार से जानेंगे....
करणी माता मंदिर में सफेद चूहे दिखने का क्या है रहस्य - What is the secret behind seeing white rats in Karni Mata Temple?
राजस्थान के बीकानेर शहर के देशनोक कस्बे में स्थित करणी माता मंदिर में लगभग 25000 चूहे पाए जाते हैं. इन चूहों को काबा के नाम से पूजा जाता है. ये चूहे मंदिर में हर जगह नजर आते हैं. हैरानी की बात यह है कि ये चूहे किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. इस मंदिर में आपको अगर सफेद चूहे नजर आते हैं, तो यह बहुत भाग्यशाली माना जाता है. यह शुभ संकेत होता है. माना जाता है चूहों के दर्शन से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.. यह भी कहा जाता है सफेद चूहे देवी करणी का प्रतीक हैं.
आपको बता दें कि इस मंदिर में भोग पहले चूहे लगाते हैं, इसके बाद भक्तों में इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. इस मंदिर में रहने वाले चूहे कभी बाहर नहीं जाते हैं, यह भी चौंकाने वाली बात है.
इस मंदिर को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि जहां पर इतनी संख्या में चूहे हों वहां पर संक्रमण न फैलना आश्चर्यजनक बात है.
कैसे पहुंचें करणी माता मंदिर - How to reach Karni Mata Temple
इस मंदिर तक पहुंचने के लिए बीकानेर से बस, जीप व टैक्सियां आसानी से मिल जाती हैं. बीकानेर-जोधपुर रेल मार्ग पर स्थित देशनोक रेलवे स्टेशन के पास ही है यह मंदिर.
सबसे अच्छा समय जाने के लिए - Best time to go Karni Mata Temple
साल में दो बार चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दौरान यहां पर मेला लगता है. तब भारी संख्या में श्रद्धालुओं यहां आते हैं. आपको बता दें कि श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए मंदिर के पास धर्मशालाएं भी हैं.
करणी माता मंदिर का इतिहास - History of Karni Mata Temple
करणी माता का मूल मंदिर राजा जय सिंह ने बनवाया था. वहीं, मंदिर का वर्तमान स्वरूप महाराजा गंगा सिंह ने राजपूत शैली में लगभग 15 से 20वीं सदी में करवाया था. इस मंदिर में संगमरमर की नक्काशी की गई है और चांदी के दरवाजे लगाए गए हैं. इस मंदिर का कुछ विस्तार हैदराबाद के कुंदन लाल वर्मा ने भी 1999 में कराया था.
बताते हैं कि संवत 1595 की चैत्र शुक्ल नवमी गुरुवार को करणी माता ज्योर्तिलीन हुईं. तब से यहां करणी माता की सेवा पूजा होती चली आ रही है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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