Trayodashi Shradh 2022: पितृ पक्ष का त्रयोदशी श्राद्ध है आज, जानें मुहूर्त और महत्व

Trayodashi Shradh Date 2022: त्रयोदशी श्राद्ध परिवार के उन मृतक सदस्यों के निमित्त किया जाता है जिनकी मृत्यु त्रयोदशी तिथि पर हुई हो. इस बार त्रयोदशी का श्राद्ध 23 सितंबर, 2022 को यानी आज किया जा रहा है.

Trayodashi Shradh 2022: पितृ पक्ष का त्रयोदशी श्राद्ध है आज, जानें मुहूर्त और महत्व

Trayodashi Shradh Date 2022: त्रयोदशी श्राद्ध की तिथि, मुहूर्त और महत्व यहां जानिए.

Trayodashi Shradh 2022 Date Muhurat and Importance: आश्विन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को त्रयोदशी श्राद्ध (Trayodashi Shradh) किया जाता है. पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2022) का त्रयोदशी श्राद्ध 23 सितंबर, शुक्रवार को  यानी आज किया जा रहा है. मान्यतानुसार, इस दिन मृत बच्चों का श्राद्ध कर्म किया जाता है. इसके अलावा इन पितरों का भी श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु त्रयोदशी तिथि को हुई है. अक्सर बच्चों के श्राद्ध को लेकर लोगों के मन में भ्रम रहता है कि आखिर किस उम्र तक के बच्चों का श्राद्ध करना चाहिए. आइए जानते हैं त्रयोदशी श्राद्ध के लिए शुभ मुहूर्त, महत्व और इससे जुड़ी खास बातें.

त्रयोदशी श्राद्ध मुहूर्त | Trayodashi Shradh 2022 Muhurat

हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष का त्रयोदशी श्राद्ध 23 सितंबर को किया जाएगा. त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 23 सितंबर को तड़के 1 बजकर 17 मिनट से हो रही है. वहीं त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 24 सितंबर को तड़के 2 बजकर 30 मिनट पर होगी. श्राद्ध कर्म में कुतुप और रौहिण मुहूर्त का खास महत्व होता है. इन मुहूर्तों में श्राद्ध कर्म करना उत्तम माना गया है. ऐसे में कुतुप मुहूर्त 11 बजकर 49 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक है. वहीं रौहिण मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से 1 बजकर 26 मिनट तक है. इसके अलावा अपराह्न काल का शुभ मुहूर्त 1 बजकर 26 मिनट से लेकर 3 बजकर 51 मिनट तक है. 

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त्रयोदशी श्राद्ध का महत्व | Trayodashi Shradh Importance

- त्रयोदशी श्राद्ध में उन बालकों का श्राद्ध नहीं किया जाता है जिनकी मृत्यु 2 वर्ष या उससे कम की उम्र में हुई हो. इसके साथ ही कन्याओं के साथ भी यही नियम लागू होता है. उनका भी श्रा़द्ध करने की मनाही है. 

- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिन बालकों और कन्याओं की उम्र 6 वर्ष से ज्यादा होती है मृत्युपरांत उनकी श्रा़द्ध की संपूर्ण क्रिया विधि-विधान के साथ की जाती हैं. वहीं 10 साल से अधिक उम्र की कन्याओं का भी विधि-विधान से श्रा़द्ध किया जाता है. 

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- जिन कन्याओं का विवाह हो चुका हो उनका श्रा़द्ध करने का अधिकार उसके सुसराल पक्ष को होता है. कन्या के मायके में माता-पिता को श्राद्ध करने का अधिकार नहीं है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
 

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