Phool Dei 2023: फूलदेई पर्व की उत्तराखंड में विशेष मान्यता है. फूलदेई (Phool Dei) चैत्र संक्रांति के दिन मनाया जाता है क्योंकि हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास ही हिंदू नववर्ष का पहला महीना होता है. इस त्योहार को खासतौर से बच्चे मनाते हैं और घर की देहरी पर बैठकर लोकगीत गाने के साथ ही घर-घर जाकर फूल बरसाते हैं. इस वर्ष 15 मार्च के दिन फूलदेई का पर्व मनाया जाएगा. ज्योतिषानुसार इस साल फूलदेई का शुभ मुहूर्त (Phool Dei Shubh Muhurt) सुबह 6 बजकर 3 मिनट से 7 बजकर 56 मिनट तक रहेगा.
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फूलदेई से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी है जिसके अनुसार एक समय की बात है जब पहाड़ों मं घोघाजीत नामक राजा रहता था. इस राजा की एक पुत्री थी जिसका नाम था घोघा. घोघा (Ghogha) प्रकृति प्रेमी थी. एक दिन छोटी उम्र में ही घोघा लापता हो गई. घोघा के गायब होने के बाद से ही राजा घोघाजीत उदास रहने लगे. तभी कुलदेवी ने सुझाव दिया कि राजा गांवभर के बच्चों को वसंत चैत्र की अष्टमी पर बुलाएं और बच्चों से फ्योंली और बुरांस देहरी पर रखवाएं. कुलदेवी के अनुसार ऐसा करने पर घर में खुशहाली आएगी. इसके बाद से ही फूलदेई मनाया जाने लगा.
उत्तराखंड (Uttarakhand) के अनेक क्षेत्रों मं चैत्र संक्रांति से फूल देई मनाने की शुरूआत हो जाती है. बहुत से इलाके जैसे कुमाऊं और गढ़वाल में एक या दो नहीं बल्कि पूरे आठ दिनों तक भी फूलदेई मनाया जाता है. इके अतिरिक्त कुछ इलाकों में चैत्र का पूरा महीना ही फूलदेई मनाते हुए गुजरता है.
यह त्योहार मन को हर्षोल्लास से भर देता है. इस त्योहार में प्रफुल्लित मन से बच्चे हिस्सा लेते हैं और बड़ों को भी अत्यधिक संतोष मिलता है. यह त्योहार लोकगीतों, मान्यताओं और परंपराओं से जुड़ने का भी एक अच्छा अवसर प्रदान करता है और संस्कृति से जुड़े रहने की प्रेरणा भी देता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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