Pradosh Vrat 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) रखा जाता है. हर माह में दो त्रयोदशी के व्रत होते हैं. इस व्रत में सूर्य के डूबने के बाद भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा का विधान है. मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव भक्तों के सभी दुख और कष्ट हर लेते हैं. अक्टूबर में अंतिम प्रदोष व्रत (October Pradosh Vrat) अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा. इस व्रत के दिन गुरुवार होने के कारण यह गुरु प्रदोष का व्रत होगा.आइए जानते हैं अक्टूबर माह का अंतिम प्रदोष व्रत कब है और गुरु प्रदोष व्रत का क्या महत्व है. Vastu tips: घर के इस कोने में एलोवेरा पौधा लगाने से दुख-दरिद्र होता है दूर
कब है अक्टूबर माह का अंतिम प्रदोष व्रत- इस वर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 26 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 44 मिनट से शुरु होकर 27 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 56 मिनट तक रहेगी. प्रदोष व्रत 26 अक्टूबर गुरुवार को रखा जाएगा.
प्रदोष व्रत का मुहुर्त और योग- 26 अक्टूबर गुरुवार को प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त शाम 5 बजकर 41 मिनट से रात 8 बजकर 15 मिनट तक है. इस शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होंगे. प्रदोष व्रत 26 अक्टूबर गुरुवार को गुरु प्रदोष व्रत के दिन ध्रुव और व्याधात योग बन रहे हैं. प्रात: काल से सुबह 8 बजकर 50 मिनट तक ध्रुव योग है और इसके बाद व्याणात योग शुरु होगा.
गुरु प्रदोष व्रत का महत्व- सप्ताह के जिस दिन प्रदोष का व्रत पड़ता है उस दिन के अनुसार ही उसका महत्व होता है. 26 अक्टूबर को गुरुवार होने के कारण यह गुरु प्रदोष व्रत है. गुरु प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की कृपा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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