Muharram 2018: आज है मुहर्रम, अपनों को शेयर करें ये मैसेजेस
नई दिल्ली:
Muharram 2018: आज मुहर्रम है. मुहर्रम के 10वें दिन खासकर शिया मुसलमान ताजिया निकालकर शोक मनाते हैं. माना जाता है कि आज ही के दिन बादशाह यजीद ने अपनी सत्ता कायम करने के लिए हजरत इमाम हुसैन और उनके परिवार को बेदर्दी से मौत के घाट उतार दिया था. उसी शहादत को याद करते हुए मुस्लिम ताजिया के साथ काले कपड़े पहन या हुसैन बोलते हुए जुलूस निकालते हैं. यानी मुसलमानों के लिए मुहर्रम का दिन शोक की घड़ी है. इस दौरान वे अपनी खुशियां त्याग देते हैं. यहां पर हम आपको मुहर्रम से जुड़ी हुई शायरी और विचार बता रहे हैं जिन्हें आप अपने करीबियों या फिर दोस्त को भी भेज सकते हैं.
यह भी पढ़ें:जानिए मुहर्रम के बारे में सबकुछ
क्या हक अदा करेगा ज़माना हुसैन का
अब तक ज़मीन पर कर्ज़ है सजदा हुसैन का
झोली फैलाकर मांग लो मुमीनो
हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का
गुरुद्वारे में शख्स ने अदा की नमाज, Facebook पर वायरल हो रहा है VIDEO
अपनी तकदीर जगाते हैं मातम से
खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से
अपने इज़हार-ए-अकीदत का सलीका ये है
हम नया साल मनाते हैं तेरे मातम से
कहां जा रहे हैं लोग
जन्नत तो करबला में
खरीदी हुसैन ने
दुनिया-ओ-आखरात में
जो रहना हो चैन से
जीना अली से सीखो
मरना हुसैन से
बगैर उनके नज़रों को बड़ी तकलीफ होती है
नबी कहते थे अकसर के अकसर ज़िक्र-ए-हैदर से
मेरे कुछ जान निसारों को बड़ी तकलीफ होती है
यह भी पढ़ें:मुहर्रम के जुलूस पर लगा प्रतिबंध
सबर से उम्मत को ज़िंदगी मिल गई
एक चमन फातिमा का गुज़रा
मगर सारे इस्लाम को ज़िंदगी मिल गई.
इस्लाम ज़िंदा होता है हर करबला के बाद
कायम रहो दोस्तों हुसैन के इंकार की तरह
और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला
इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन?
हुसैन है इस्लाम को बनाने वाला
भले जीत गया वो कायर जंग
पर जो मौला के दर पर शहीद हुआ
वही था असली और सच्चा पैगम्बर
सजदे में जाकर सिर कटाया हुसैन ने
नेजे पर सिर था और जबान पर आयतें
कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने
यह भी पढ़ें:जानिए मुहर्रम के बारे में सबकुछ
क्या हक अदा करेगा ज़माना हुसैन का
अब तक ज़मीन पर कर्ज़ है सजदा हुसैन का
झोली फैलाकर मांग लो मुमीनो
हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का
गुरुद्वारे में शख्स ने अदा की नमाज, Facebook पर वायरल हो रहा है VIDEO
सलाम या हुसैन
अपनी तकदीर जगाते हैं मातम से
खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से
अपने इज़हार-ए-अकीदत का सलीका ये है
हम नया साल मनाते हैं तेरे मातम से
जन्नत की आरज़ू में
कहां जा रहे हैं लोग
जन्नत तो करबला में
खरीदी हुसैन ने
दुनिया-ओ-आखरात में
जो रहना हो चैन से
जीना अली से सीखो
मरना हुसैन से
नज़र गम है नज़रों को बड़ी तकलीफ होती है
बगैर उनके नज़रों को बड़ी तकलीफ होती है
नबी कहते थे अकसर के अकसर ज़िक्र-ए-हैदर से
मेरे कुछ जान निसारों को बड़ी तकलीफ होती है
यह भी पढ़ें:मुहर्रम के जुलूस पर लगा प्रतिबंध
सजदा से करबला को बंदगी मिल गई
सबर से उम्मत को ज़िंदगी मिल गई
एक चमन फातिमा का गुज़रा
मगर सारे इस्लाम को ज़िंदगी मिल गई.
कत्ल-ए-हुसैन असल में मार्ग-ए-यजीद है
इस्लाम ज़िंदा होता है हर करबला के बाद
जब भी कभी ज़मीर का सौदा हो
कायम रहो दोस्तों हुसैन के इंकार की तरह
सिर गैर के आगे न झुकाने वाला
और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला
इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन?
हुसैन है इस्लाम को बनाने वाला
न हिला पाया वो रब की मेहर को
भले जीत गया वो कायर जंग
पर जो मौला के दर पर शहीद हुआ
वही था असली और सच्चा पैगम्बर
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने
सजदे में जाकर सिर कटाया हुसैन ने
नेजे पर सिर था और जबान पर आयतें
कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने
Muharram 2018: आज है मुहर्रम, जानिए क्यों शहीद हो गए थे हजरत इमाम हुसैन?
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