Mahavir Jayanti 2020: आज है महावीर जयंती, जानिए इस पर्व के बारे में सबकुछ

Mahavir Jayanti: महावीर स्वामी का सबसे बड़ा सिद्धांत अहिंसा का है. उन्होंने अपने प्रत्‍येक अनुयायी के लिए अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के पांच व्रतों का पालन करना आवश्यक बताया है.

Mahavir Jayanti 2020: आज है महावीर जयंती, जानिए इस पर्व के बारे में सबकुछ

Mahavir Jayanti: जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती हर्षोल्‍लास के साथ मनाई जाती है.

नई दिल्ली:

कोरोनावायरस लॉकडाउन (Coronavirus LOckdown) के बीच देश भर में आज महावीर जयंती (Mahavir Jayanti) मनाई जा रही है. जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर या वर्धमान महावीर की जयंती हर साल दुनिया भर में पूरे हर्षोल्‍लास के साथ मनाई जाती है. अहिंसा, त्‍याग और तपस्‍या का संदेश देने वाले महावीर की जयंती ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मार्च या अप्रैल महीने में मनाई जाती है. वहीं, हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास के 13वें दिन महावीर ने जन्‍म लिया था. जैन धर्म के अनुयायियों के लिए महावीर जयंती का व‍िशेष महत्‍व है. यह उनके प्रमुख त्‍योहारों में से एक है. न सिर्फ भारत में बल्‍कि विदेशों में भी जैन समुदाय का विस्‍तार है और सभी लोग साल भर इस दिन का इंतजार करते हैं. हालांकि इस बार कोरोनावायरस के चलते सभी जैन मंदिर बंद हैं. ऐसे में लोग अपने-अपने घरों में ही इस त्‍योहार को मना रहे हैं.

कौन हैं वर्धमान महावीर?
महावीर के जन्‍मदिवस को लेकर मतभेद है. श्‍वेतांबर जैनियों का मानना है कि उनका जन्‍म 599 ईसा पूर्व में हुआ था, वहीं दिगंबर जैनियों का मत है कि उनके आराध्‍य 615 ईसा पूर्व में प्रकट हुए थे. जैन मान्‍यताओं के अनुसार उनका जन्‍म बिहार के कुंडलपुर के शाही परिवार में हुआ था. बचपन में महावीर का नाम 'वर्धमान' था. माना जाता है कि वे बचपन से ही साहसी, तेजस्वी और अत्यंत बलशाली थे और इस वजह से लोग उन्‍हें महावीर कहने लगे. उन्‍होंने अपनी इन्द्रियों को जीत लिया था, इसलिए इन्हें 'जीतेंद्र' भी कहा जाता है. महावीर की माता का नाम 'त्रिशला देवी' और पिता का नाम 'सिद्धार्थ' था. महावीर ने कल‍िंग के राजा की बेटी यशोदा से शादी भी की लेकिन 30 साल की उम्र में उन्‍होंने घर छोड़ दिया. 

कठोर तपस्‍या 
दीक्षा लेने के बाद महावीर ने साढ़े 12 सालों तक कठोर तपस्‍या की. फिर वैशाख शुक्ल दशमी को ऋजुबालुका नदी के किनारे 'साल वृक्ष' के नीचे भगवान महावीर को 'कैवल्य ज्ञान' की प्राप्ति हुई थी. यह महावीर की श्रद्धा, भक्ति और तपस्‍या का ही परिणाम था कि वह जैन धर्म को फिर से प्रतिष्ठित करने में सफल हो पाए. यही वजह है कि जैन धर्म की व्यापकता और उसके दर्शन का पूरा श्रेय महावीर को दिया जाता है.  

निर्वाण
अहिंसा, त्‍याग और तपस्‍या की साक्षात मूर्ति भगवान महावीर ने कार्तिक मास की अमावस्‍या को दीपावली के दिन पावापुरी में निर्वाण को प्राप्‍त किया. 

महावीर स्‍वामी के सिद्धांत
महावीर स्वामी का सबसे बड़ा सिद्धांत अहिंसा का है. उन्होंने अपने प्रत्‍येक अनुयायी के लिए अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के पांच व्रतों का पालन करना आवश्यक बताया है. इन सबमें अहिंसा की भावना सम्मिलित है. यही वजह है कि जैन विद्वानों का प्रमुख उपदेश यही होता है- 'अहिंसा ही परम धर्म है. अहिंसा ही परम ब्रह्म है. अहिंसा ही सुख शांति देने वाली है. अहिंसा ही संसार का उद्धार करने वाली है. यही मानव का सच्चा धर्म है. यही मानव का सच्चा कर्म है.'

कैसे मनाई जाती है महावीर जयंती?
महावीर जयंती को महावीर स्‍वामी जन्‍म कल्‍याणक के नाम से भी जाना जाता है. जैन समुदाय का यह सबसे प्रमुख पर्व है. महावीर जयंती के दिन जैन मंदिरों में महावीर की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है. इसके बाद मूर्ति को एक रथ पर बिठाकर जुलूस निकाला जाता है. इस यात्रा में जैन धर्म के अनुयायी बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं. भारत में गुजरात और राजस्‍थान में जैन धर्म को मानने वालों की तादाद अच्‍छी खासी है. यही वजह है कि इन दोनों राज्‍यों में धूमधाम से यह पर्व मनाया जाता है और व‍िशेष आयोजन किए जाते हैं. कई जगहों पर मांस और शराब की दुकानें बंद रहती हैं.

भगवान महावीर के 12 अनमोल वचन
1. किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असल रूप को ना पहचानना है , और यह केवल आत्म ज्ञान प्राप्त कर के ठीक की जा सकती है.

2. शांति और आत्म-नियंत्रण अहिंसा है.

3. प्रत्येक जीव स्वतंत्र है. कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता.

4. भगवान का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है. हर कोई सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास कर के देवत्त्व प्राप्त कर सकता है.

5. प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता.

6. सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान अहिंसा है.

7. सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं, और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं.

8. अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है.

9. स्वयं से लड़ो, बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना ? वह जो स्वयं पर विजय कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी.

10. खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है.

11. आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है. असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं , वो शत्रु हैं क्रोध, घमंड, लालच, आसक्ति और नफरत.

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12. आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है.