
- महालया के दिन मां दुर्गा की पूजा विधिपूर्वक की जाती है और बंगाल सहित कई राज्यों में भव्य उत्सव मनाया जाता है.
- इस वर्ष महालया 21 सितंबर को है जिसमें सूर्य ग्रहण का भी विशेष संयोग बना है.
- महालया का अर्थ होता है देवी का महान निवास और यह दुर्गा पूजा उत्सव की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है.
Mahalaya 2025: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महालया के दिन मां दुर्गा धरती लोक पर आती हैं. इस दिन देवी भगवती जोश-उत्साह और विधि-विधान से पूजा-अर्चना के साथ उनका भव्य स्वागत किया जाता है. बंगाल, झारखंड, बिहार में महालया के दिन खास रौनक देखी जाती है. आज 21 सितंबर को महालया पर सूर्य ग्रहण का भी संयोग पड़ रहा है. महालया संस्कृत के दो शब्दों महा और आलय से मिलकर बना है. जिसका मतलब -देवी का महान निवास होता है. बंगाल में, महालया को दुर्गा पूजा उत्सव की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. बंगाल में दुर्गा पूजा की शुरुआत महालया से होती है.
पितृपक्ष की समाप्ति और दुर्गापूजा की शुरुआत
महालया के साथ ही जहां एक तरफ पितृपक्ष समाप्त होता है तो दूसरी ओर मां दुर्गा की पूजा शुरू होती है. महालया के दिन ही मूर्तिकार मां दुर्गा (Maa Durga) की आंखें तैयार करते हैं. महालया के बाद ही मां दुर्गा की मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जाता है और वह पंडालों की शोभा बढ़ाती हैं.
पितृ पक्ष की आखिरी श्राद्ध तिथि को महालया पर्व मनाया जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि यानी अमावस्या को महालया अमावस्या (Mahalaya Amavasya 2025) कहा जाता है. पितृ पक्ष में महालया अमावस्या सबसे मुख्य दिन होता है.

महालया: शुभ मुहूर्त
- अमावस्या तिथि आरंभ: रविवार, 21 सितंबर 2025, पूर्वाह्न 12:16
- अमावस्या तिथि समाप्त: सोमवार, 22 सितंबर 2025, पूर्वाह्न 1:23
अन्य शुभ मुहूर्त
- कुतुप मुहूर्त- सुबह 11:50 से दोपहर 12:38 तक
- रौहिण मुहूर्त- दोपहर 12:38 से 1:27 तक
- अपराह्न काल- दोपहर 1:27 से 3:53 तक
महालया 2025: पूजा विधि (Mahalaya 2025 Puja Rituals)
महालया के दिन, पितरों को श्रद्धांजलि दी जाती है और मां दुर्गा का आवाहन किया जाता है. इस दिन की पूजा विधि इस प्रकार है:
1. सुबह की तैयारी: सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर की अच्छी तरह साफ-सफाई करें. इसके बाद, सूर्य देव को जल अर्पित करें.
2. पितृ तर्पण: महालया का दिन पितरों को समर्पित होता है. इस दिन घर के पुरुष सदस्य अपने पूर्वजों का तर्पण (श्रद्धांजलि) करें. यह एक पवित्र अनुष्ठान है, जिसमें पूर्वजों को जल और भोजन अर्पित किया जाता है.
3. ब्राह्मण और अन्य प्राणियों को भोजन: पितृ तर्पण के बाद, घर पर सात्विक भोजन बनाएं. ब्राह्मणों को आदरपूर्वक घर पर बुलाकर भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा (दान) दें. ब्राह्मणों के अलावा, इस शुभ दिन पर गाय, कुत्ते, चींटियों और कौवों को भी भोजन खिलाना बहुत शुभ माना जाता है.
4. दान और परोपकार: ब्राह्मण भोज के बाद, आप अपनी क्षमता के अनुसार ज़रूरतमंदों को भोजन, कपड़े और धन का दान भी कर सकते हैं. दान से इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है.
5. मां दुर्गा का आवाह्न: महालया के दिन ही मां दुर्गा का भी आवाह्न किया जाता है. इस दिन देवी दुर्गा की विधिवत पूजा ज़रूर करें. यह पूजा नवरात्रि की शुरुआत का प्रतीक है.
6. समापन: सभी अनुष्ठान पूरे होने के बाद, घर के सदस्य भोजन कर सकते हैं. अंत में, पूजा के दौरान हुई किसी भी भूल या गलती के लिए भगवान से क्षमा याचना करें.
क्या है महालया का इतिहास ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अत्याचारी राक्षस महिषासुर के संहार के लिए मां दुर्गा का सृजन किया. महिषासुर को वरदान मिला हुआ था कि कोई देवता या मनुष्य उसका वध नहीं कर पाएगा. ऐसा वरदान पाकर महिषासुर राक्षसों का राजा बन गया और उसने देवताओं पर आक्रमण कर दिया.
देवता युद्ध हार गए और देवलोकर पर महिषासुर का राज हो गया. महिषासुर से रक्षा करने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ आदि शक्ति की आराधना की. इस दौरान सभी देवताओं के शरीर से एक दिव्य रोशनी निकली जिसने देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया. शस्त्रों से सुसज्जित मां दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिनों तक भीषण युद्ध करने के बाद 10वें दिन उसका वध कर दिया. दरसअल, महालया मां दुर्गा के धरती पर आगमन का द्योतक है.
महालया कैसे मनाया जाता है ?
वैसे तो महालया बंगालियों का प्रमुख त्योहार है, लेकिन इसे देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. बंगाल के लोगों के लिए महालया पर्व का विशेष महत्व है. मां दुर्गा में आस्था रखने वाले लोग साल भर इस दिन का इंतजार करते हैं. महालया से ही दुर्गा पूजा की शुरुआत मानी जाती है.
महालया पितृ पक्ष का आखिरी दिन भी है. इसे सर्व पितृ अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन सभी पितरों को याद कर उन्हें तर्पण दिया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वह खुशी-खुशी विदा होते हैं.
(Except for the headline, this story has not been edited by NDTV staff and is published from a press release)
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