मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट देर रात 12 बजे (गुरुवार-शुक्रवार की दरम्यानी रात) पूरे विधि-विधान से खोल दिए गए. देशभर से पहुंचे हजारों श्रद्घालु रात से ही कतारों में लगे हैं, मंदिर के पट आज रात 12 बजे तक खुले रहेंगे. नागचंद्रेश्वर मंदिर सिर्फ नागपंचमी के मौके पर 24 घंटे के लिए साल में एक बार खुलता है. गुरुवार रात 12 बजे जयकारों के बीच महानिर्वाणी अखाड़े के महंत प्रकाश पुरी महाराज ने मंदिर के पट खोले और स्थापित प्रतिमाओं की पूजा अर्चना की. उसके बाद आम श्रद्धालुओं के दर्शनों का दौर शुरू हो गया.
धर्म के जानकार बताते हैं कि पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शैय्या पर विराजमान हैं. मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में शिवजी, गणेशजी और पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शैय्या पर विराजित हैं. शिव भगवान के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं.
सर्पदोष से मिलती है मुक्ति
महाकालेश्वर मंदिर परिसर में महाकाल मंदिर के तीसरे तल पर स्थित नागचंद्रेश्वर के पूजन-अर्चना के लिए लाखों श्रद्घालु गुरुवार से ही उज्जैन पहुंचने लगे थे. रात 12 बजे पट खुलने के बाद से श्रद्घालुओं की लंबी कतारें लगी हुई हैं. कहा जाता है इस मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति सर्पदोष से मुक्त हो जाता है.
क्या है मान्यता
मान्यता है कि सर्पराज तक्षक ने शिवजी को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी. तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया. उसके बाद से तक्षक राजा ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया.
इतिहास
यह मंदिर काफी प्राचीन है. माना जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के लगभग इस मंदिर का निर्माण करवाया था. इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था.
इनपुट आईएनएस से
धर्म के जानकार बताते हैं कि पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शैय्या पर विराजमान हैं. मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में शिवजी, गणेशजी और पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शैय्या पर विराजित हैं. शिव भगवान के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं.
सर्पदोष से मिलती है मुक्ति
महाकालेश्वर मंदिर परिसर में महाकाल मंदिर के तीसरे तल पर स्थित नागचंद्रेश्वर के पूजन-अर्चना के लिए लाखों श्रद्घालु गुरुवार से ही उज्जैन पहुंचने लगे थे. रात 12 बजे पट खुलने के बाद से श्रद्घालुओं की लंबी कतारें लगी हुई हैं. कहा जाता है इस मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति सर्पदोष से मुक्त हो जाता है.
क्या है मान्यता
मान्यता है कि सर्पराज तक्षक ने शिवजी को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी. तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया. उसके बाद से तक्षक राजा ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया.
इतिहास
यह मंदिर काफी प्राचीन है. माना जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के लगभग इस मंदिर का निर्माण करवाया था. इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था.
इनपुट आईएनएस से
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