सनातन धर्म में माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) या माघी पूर्णिमा (Maghi Purnima) का विशेष महत्व है. माघ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को माघ पूर्णिमा या माघी पूर्णिमा कहते हैं. आज के दिन भगवान श्री हरि विष्णु जी के नारायण रूप की विधि-विधान से पूजा की जाती है. कहते हैं इस दिन व्रत और पूजन करने से व्रती के जीवन से दुख-शोक का नाश और सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है.
Magh Purnima: माघ पूर्णिमा पर बन रहा है ये खास संयोग, स्नान और दान का है विशेष महत्व
पूर्णिमा के दिन नदियों में स्नान करने और दान करने की परंपरा है. बता दें कि साल के हर महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन पूर्णिमा मनाई जाती है. इस बार माघ माह की पूर्णिमा आज 16 फरवरी को है. मान्यता है कि इस दिन पूजन और दान से न केवल चंद्र देव, बल्कि भगवान श्री हरि की भी कृपा बरसती है.
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कहते हैं कि माघी (माघ) पूर्णिमा के पावन दिन भगवान श्री हरि विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं, यही वजह है कि इस दिन गंगास्नान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. बता दें कि माघ मास की पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है. पूर्णिमा के दिन श्री हरि विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी (Maa Lakshmi) और चंद्रमा का पूजन (Chandra Pujan) किया जाता है. इस दिन सत्य नारायण की कथा को सुनना और करना उत्तम माना जाता है. आइए पढ़ते हैं सत्य नारायण की (Satya Narayan Katha) कथा.
सत्य नारायण व्रत की पौराणिक कथा | Satya Narayan Katha
पौराणिक कथा के अनुसार, चिरकाल में एक समय भगवान श्री हरि विष्णु क्षीर सागर में विश्राम कर रहे थे. इस बीच नारद जी वहां पधारे. नारद जी के अचानक प्रकट होने पर भगवान श्रीहरि विष्णु ने नारद जी से कहा, हे महर्षि आपके आने का प्रयोजन क्या है? इस पर नारद जी ने भगवान विष्णु से कहा, नारायण नारायण प्रभु! आप तो पालनहार हैं. सर्वज्ञाता हैं. प्रभु-मुझे ऐसी कोई लघु उपाय बताएं, जिसे करने से पृथ्वीवासियों का कल्याण हो.
नारद जी के पूछने पर भगवान श्री हरि विष्णु ने कहा, हे देवर्षि! जो मनुष्य सांसारिक सुखों को भोगना चाहता है और मरणोपरांत परलोक जाना चाहता है, उसे अपने जीवन में सत्यनारायण पूजा और व्रत करते हुए कथा का पाठ जरूर करना या सुनना चाहिए. विष्णु जी की इस बात को सुनकर नारद जी ने श्री हरि से व्रत विधि बताने का अनुरोध किया.
भगवान श्री हरि विष्णु ने नारद जी से कहा, इसे करने के लिए व्यक्ति को दिन भर उपवास रखना चाहिए. संध्याकाल में किसी पंडित को बुलाकर सत्य नारायण की कथा श्रवण करवाना चाहिए. इसके अलावा इस दिन भगवान को भोग में चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि अर्पित करें. इससे सत्यनारायण देव प्रसन्न होते हैं.
पूर्णिमा पूजा विधि | Purnima Puja Vidhi
ब्रह्म बेला में उठें और घर को अच्छी तरह साफ कर लें.
अगर पवित्र नदियों में स्नान करना संभव नहीं है, तो घर में ही गंगाजल युक्त पानी से स्नान ध्यान कर सकते हैं.
सर्वप्रथम भगवान भास्कर के 'ॐ नमो नारायणाय' मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य दें.
इसके बाद तिलांजलि दें.
सूर्य के सामने खड़े होकर जल में तिल डालकर उसका तर्पण करें.
इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु का विधि विधान से पूजन करें.
भगवान को भोग में चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि अर्पित करें.
अंत में आरती-प्रार्थना कर पूजा संपन्न करें.
इस दिन पूजा के बाद जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देना शुभ माना जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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