मुस्लिम पति
हिन्दू पत्नी
मुखाग्नि
अंतिम संस्कार
मथुरा ने सांप्रदायिक सद्भावना और एक-दूसरे की धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करने का एक बार फिर ऐसा उदाहरण देते हुए मुस्लिम पति ने हिन्दू पत्नी की इच्छानुसार मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया।
धार्मिक सद्भावना की मिसाल बने 72 वर्षीय लियाकत अली ने बताया, ‘‘मैंने 36 वर्ष पूर्व अपने से एक वर्ष बड़ी हिन्दू मतावलंबी कृपा यादव से प्रेम विवाह किया था। तभी से हम दोनों अपने-अपने धर्म और रीति-रिवाजों का पालन करते थे।’’
उन्होंने बताया कि वे एक राशन डीलर थे और उनकी दूसरी पत्नी कृपा के पिता भी एक राशन डीलर थे। इस नाते राशन कार्यालय एवं गोदाम पर माल उठाते समय अक्सर दोनों की मुलाकात हो जाया करती थी। वे परेशानियों में एक-दूसरे का साथ देने लगे थे।
लियाकत अली की पहली बीवी का इंतकाल हो चुका था। उससे उनके 6 बच्चे थे। कृपा यादव ने पति की पहली बीवी के ही बच्चों को पाला।
लियाकत अली ने ‘मोक्षधाम’ पर कर्मकाण्डी पंडित को बुलाकर पूरे हिन्दू विधि-विधान के साथ अपनी हिन्दू पत्नी का अंतिम संस्कार किया। खुद उन्हें मुखाग्नि दी। यही उनकी पत्नी की इच्छा भी थी।
अली ने बताया कि आने वाले दिनों में वे उन सभी संस्कारों का पूर्ण रीति-रिवाज से परिपालन करेंगे, जो हिन्दू धर्म में किसी भी आत्मा की शांति के मुतल्लिक किए जाते हैं।
हिन्दू पत्नी
मुखाग्नि
अंतिम संस्कार
मथुरा ने सांप्रदायिक सद्भावना और एक-दूसरे की धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करने का एक बार फिर ऐसा उदाहरण देते हुए मुस्लिम पति ने हिन्दू पत्नी की इच्छानुसार मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया।
धार्मिक सद्भावना की मिसाल बने 72 वर्षीय लियाकत अली ने बताया, ‘‘मैंने 36 वर्ष पूर्व अपने से एक वर्ष बड़ी हिन्दू मतावलंबी कृपा यादव से प्रेम विवाह किया था। तभी से हम दोनों अपने-अपने धर्म और रीति-रिवाजों का पालन करते थे।’’
उन्होंने बताया कि वे एक राशन डीलर थे और उनकी दूसरी पत्नी कृपा के पिता भी एक राशन डीलर थे। इस नाते राशन कार्यालय एवं गोदाम पर माल उठाते समय अक्सर दोनों की मुलाकात हो जाया करती थी। वे परेशानियों में एक-दूसरे का साथ देने लगे थे।
लियाकत अली की पहली बीवी का इंतकाल हो चुका था। उससे उनके 6 बच्चे थे। कृपा यादव ने पति की पहली बीवी के ही बच्चों को पाला।
लियाकत अली ने ‘मोक्षधाम’ पर कर्मकाण्डी पंडित को बुलाकर पूरे हिन्दू विधि-विधान के साथ अपनी हिन्दू पत्नी का अंतिम संस्कार किया। खुद उन्हें मुखाग्नि दी। यही उनकी पत्नी की इच्छा भी थी।
अली ने बताया कि आने वाले दिनों में वे उन सभी संस्कारों का पूर्ण रीति-रिवाज से परिपालन करेंगे, जो हिन्दू धर्म में किसी भी आत्मा की शांति के मुतल्लिक किए जाते हैं।
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