Ganesh Chaturthi: गणेश चतुर्थी व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश की पूजा करना बेहद शुभ होता है और कहते हैं इस दिन गणपति बप्पा का पूरे मनोभाव से पूजन करने वालों के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. इस साल कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी (Krishnapingala Sankashti Chaturthui) का व्रत आज 7 जून, बुधवार के दिन रखा जा रहा है. पंचांग के अनुसार, कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाई जाती है. जानिए इस अवसर पर किस तरह भगवान गणेश का पूजन किया जा सकता है.
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पूजा | Krishnapingala Sankashti Chaturthi Puja
संकष्टी चतुर्थी का व्रत रख रहे भक्त इस दिन सुबह-सवेरे स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं. इसके बाद गणेश भगवान (Lord Ganesha) की मूर्ति स्थापित की जाती है और पूजा सामग्री इकट्ठी करके रखी जाती है. दीया जलाया जाता है और हल्दी कुमकुम का तिलक लगाकर पूजा प्रारंभ करते हैं. पूजा में फूल और दूर्वा गणपति बप्पा के समक्ष अर्पित किए जाते हैं. बहुत से भक्त पूजा के लिए गणपति बप्पा के मंदिर भी जाते हैं. पूजा के दौरान गणेश आरती गाई जाती है और ऊँ श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप किया जाता है. भोग में बप्पा के मनपंसद मोदक या लड्डुओं का भोग लगाया जा सकता है. इसके अलावा, कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी की शाम चंद्रमा को जल अर्पित किया जाता है. चंद्र देव को अर्घ्य देना इस दिन बेहद शुभ माना जाता है.
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी का महत्वचतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए और बप्पा की कृपा पाने के लिए व्रत रखा जाता है. इस दिन से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं. मान्यतानुसार भगवान गणेश को भगवान शिव के द्वारा वरदान प्राप्त है कि उन्हें पूजा-पाठ में सर्वोच्च स्थान प्राप्त होगा और किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत गणेश पूजा से ही की जाएगी. गणपति बप्पा की पूजा के लिए भक्त गणेश मंदिर भी जाते हैं और घर पर भी बप्पा का पूजन करते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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