Krishna Janmashtami 2020: देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Happy Krishna Janmashtami 2020) को काफी धूमधाम से मनाया जाता है. देशभर के राज्यों में इस त्योहार को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण (Janmashtami 2020) का जन्म भादो माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. हर साल अगस्त या फिर सितंबर के महीने में कृष्ण जन्माष्मटी का त्योहार मनाया जाता है. इस साल यह त्योहार 11 और 12 अगस्त को मनाया जा रहा है.
दरअसल, 11 अगस्त को कृष्ण पक्ष की अष्टमी होने की वजह से कई क्षेत्रों में मंगलवार को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है. वहीं 12 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र होने के चलते कुछ क्षेत्रों में बुधवार को जन्माष्टी का जश्न मनाया जाएगा. पौराणिक कथाओं में भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी बहुत सी घटनाओं का जिक्र किया है और इन घटनाओं के साथ उन्होंने देशभर के कई स्थानों पर अपने जीवन का खास वक्त भी व्यतीत किया है. ऐसे में आपको बताते हैं वो 6 जगह जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन का अहम वक्त व्यतीत किया.
मथुरा, उत्तर प्रदेश
दरअसल, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में ही हुआ था. भगवान श्रीकृष्ण हरि विष्णु भगवान के आठवें अवतार हैं. उनका जन्म जेल में हुआ था. श्रीकृष्ण के मामा कंस ने भविष्यवाणी के बाद उनकी माता देवकी और पिता वासुदेव को जेल में बंद कर दिया था और वहीं श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था.
गोकुल, उत्तर प्रदेश
कंस से श्रीकृष्ण को बचाने के लिए वासुदेव ने उन्हें जन्म के तुरंत बाद मथुरा से थोड़ी दूर स्थित गोकुल गांव के नंद के घर में छोड़ दिया था, जहां माता यशोदा ने एक बच्ची को जन्म दिया था.
वृंदावन, उत्तर प्रदेश
भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में दोस्तों के साथ खेलते हुए अपना बचपन गुजारा था. जिस गोवर्धन पर्वत को श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली से उठाया था, वो वृंदावन के नजदीक ही स्थित है.
कुरुक्षेत्र, हरियाणा
यह वह स्थान है जहां श्री कृष्ण ने अर्जुन को जीवन के मूलभूत सिद्धांतों की शिक्षा देने के अपना दिव्य स्वरूप दिखाया था.
बता दें, भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच का यह संवाद भगवत गीता का आधार है.
द्वारका, गुजरात
अपने मामा कंस का वध करने के बाद श्रीकृष्ण ने द्वारका में अपनी नगरी स्थापित की थी.
सोमनाथ, गुजरात
सोमनाथ के पास स्थित वेरावल में प्रभासक्षेत्र में स्थित भालका तीर्थ है, जहां भगवान श्रीकृष्ण को एक शिकारी का तीर लगा था और इसके बाद उन्होंने स्वर्ग में निवास किया था.
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