कोविड-19 की वजह से मथुरा और वृंदावन में फीका-फीका रहा कृष्ण जन्मोत्सव

ठाकुर जी के जन्माभिषेक का मुख्य कार्यक्रम रात 11 बजे गणेश वंदना से प्रारंभ हुआ. उसके बाद नवग्रह पूजन हुआ. मध्य रात्रि को कान्हा के प्राकट्य के साथ संपूर्ण मंदिर परिसर में शंख, ढोल-नगाड़े, झांझ-मंजीरे, मृदंग बज उठे और उनकी आरती की गई.

कोविड-19 की वजह से मथुरा और वृंदावन में फीका-फीका रहा कृष्ण जन्मोत्सव

किशन-कन्हैया को भी अलग-अलग नई सुन्दर पोशाक पहनायी गयी थी.

मथुरा:

ब्रज के सभी मंदिरों में बुधवार को कृष्ण जन्मोत्सव परंपरागत तरीके से मनाया गया. कृष्ण-कन्हैया का अभिषेक तथा पूजन हुआ और भोग लगाया गया लेकिन भक्तों की कमी ने उत्सव के उत्साह को बिल्कुल फीका कर दिया. मथुरा, वृंदावन के बड़े मंदिरों ने भक्तों के लिए उत्सव के ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था की थी. दरअसल कोरोना वायरस संक्रमण के कारण प्रदेश में अभी भी बड़े आयोजनों पर रोक है इसलिए ज्यादातर मंदिर जन्माष्टमी पर भी भक्तों के लिए बंद रहे. 

इसके बावजूद मंदिरों की सजावट अद्भुत थी. पुष्प, लताएं, पत्ते, कलियां और बिजली के बल्ब की लड़ियां सब कुछ मिलकर बहुत सुन्दर छटा पैदा कर रही थी. किशन-कन्हैया को भी अलग-अलग नई सुन्दर पोशाक पहनायी गयी थी, मोरपंख मुकुट और बांसुरी के साथ उनकी सज्जा काफी आकर्षक थी. जन्मोत्सव पर ठाकुरजी को रेशम, जड़ी और रत्न प्रतिकृति से बनी ‘पुष्प-वृंत' पोशाक धारण कराई गई थी. 

ठाकुर जी के जन्माभिषेक का मुख्य कार्यक्रम रात 11 बजे गणेश वंदना से प्रारंभ हुआ. उसके बाद नवग्रह पूजन हुआ. मध्य रात्रि को कान्हा के प्राकट्य के साथ संपूर्ण मंदिर परिसर में शंख, ढोल-नगाड़े, झांझ-मंजीरे, मृदंग बज उठे और उनकी आरती की गई. ठाकुरजी का पंचामृत से अभिषेक किया गया. इसमें शास्त्रोक्त सामग्री एवं गंगा-यमुना के साथ-साथ इस बार विशेष रूप से सरयू के जल का भी उपयोग किया गया. 

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यह जल श्रीराम एवं श्रीकृष्ण जन्मस्थान न्यासों के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास स्वयं लेकर आए थे. श्रीकृष्ण जन्मस्थान सहित एवं ठा. द्वारिकाधीश आदि कई मंदिरों में सम्पन्न हुए कृष्ण जन्माभिषेक कार्यक्रम का विभिन्न माध्यमों से सजीव प्रसारण किया गया.



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)