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This Article is From Jan 12, 2022

देवी के इन 5 शक्तिपीठ से जुड़ी है लोगों की अपार आस्था, आप भी करें दर्शन

भागवत पुराण के अनुसार, मां शक्ति के 108 शक्तिपीठ हैं, लेकिन काली पुराण में वह 26 हैं और शिवचरित्र में 51 हैं. वहीं, दुर्गा सप्तशती और तंत्र चूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है. माना जाता है कि भक्त माता के 51 शक्तिपीठ को ही पूजते हैं.

देवी के इन 5 शक्तिपीठ से जुड़ी है लोगों की अपार आस्था, आप भी करें दर्शन
आप कितना जानते हैं देवी के इन 5 शक्तिपीठ के बारे में, तस्वीरों में देखिए मां के अद्भुत स्वरूप
नई दिल्ली:

भारत में अलग-अलग स्थानों पर देवी के कई शक्तिपीठ मौजूद हैं. भागवत पुराण के अनुसार, मां शक्ति के 108 शक्तिपीठ हैं, लेकिन काली पुराण में वह 26 हैं और शिवचरित्र में 51 हैं. वहीं, दुर्गा सप्तशती और तंत्र चूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है. हिंदू धर्म के पुराणों के अनुसार, जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आए. ये बेहद पावन तीर्थस्थान कहलाए जाते हैं. भारत के अलावा नेपाल और पाकिस्तान में भी देवी के शक्तिपीठ हैं. वैसे तो ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं. माना जाता है कि भक्त माता के 51 शक्तिपीठ को ही पूजते हैं. इन शक्तिपीठों का वर्णन देवी भागवत पुराण में किया गया है. आज हम आपको देवी के 5 ऐसे शक्तिपीठ के बारे में बता रहे हैं, जिनसे भक्तों की अपार आस्था जुड़ी है.

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कालीघाट शक्तिपीठ (कोलकाता)

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में कालीघाट एक शक्तिपीठ है. मान्यता है कि मां सती के दाएं पैर की कुछ अंगुलियां इसी स्थान पर गिरी थीं, इसे मां काली का शक्तिपीठ कहा जाता है. बंगाल ही नहीं, बल्कि देश-दुनिया से भी भक्त यहां माता काली के दर्शन के लिए आते हैं. कालीघाट काली मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. कालीघाट में मां काली की प्रतिमा में उनका माथा और चार हाथ नजर आते हैं. लाल रंग के कपड़े से ढकी प्रतिमा में मां काली की जीभ बहुत लंबी है. जो स्वर्ण से बनी है. बता दें कि मंदिर में त्रिनयना माता रक्तांबरा, मुण्डमालिनी, मुक्तकेशी भी विराजमान हैं. पास ही में नकुलेश का भी मंदिर है.

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अम्बाजी मंदिर (गुजरात)

गुजरात और राजस्थान की सीमा पर स्थित अम्बाजी (अंबा माता) का प्राचीन शक्तिपीठ है. इस मंदिर में देवी की कोई प्रतिमा नहीं है, लेकिन देवी के यंत्र की पूजा की जाती है. मान्यता है कि यहां देवी सती का हृदय गिरा था. सफेद संगमरमर से बना यह भव्य मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. मंदिर से लगभग 3 किमी. की दूरी पर गब्बर नामक एक पहाड़ भी है, जहां देवी का एक और प्राचीन मंदिर स्थापित है. माना जाता है कि यहां इसी पत्थर पर माता के पदचिह्न व रथचिह्र बने हैं.

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देवी तालाब मंदिर (जालंधर)

देवी के शक्तिपीठों में शुमार जालंधर का देवी तालाब मंदिर आज इस शहर की पहचान बन चुका है. सिटी रेलवे स्टेशन से मात्र एक किलोमीटर दूर ही स्थित है श्री देवी तालाब मंदिर में श्रद्धालु  दूर-दूर से आते हैं. मान्याता है कि यहां माता सती का बायां वक्षस्थल गिरा था. यहीं पर श्री सिद्ध शक्तिपीठ मां त्रिपुरमालिनी का धाम है. मंदिर के विशाल पवित्र सरोवर है का नाम देश के प्रसिद्ध 108 सरोवरों में लिया जाता है. इस मंदिर का इतिहास माता सती से जुड़ा हुआ है.

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गुजयेश्वरी मंदिर (नेपाल)

माता का यह शक्तिपीठ पशुपतिनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर बागमती नदी के दूसरी तरफ स्थित है. गुह्येश्वरी शक्तिपीठ तकरीबन 2500 साल पुराना बताया जाता है. इस मंदिर में विराजीं देवी नेपाल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजी जाती हैं. माता के इस शक्तिपीठ को शक्ति, महामाया और गुह्याकाली भी कहा जाता है. कहते हैं कि यहां माता सती के शरीर के दोनों घुटने गिरे थे. गुह्येश्वरी दो शब्दों गुह्या (सीक्रेट) और ईश्वरी (देवी) से मिलकर बना है. यह स्थान काठमांडू में यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में से एक है. हर साल यहां नवरात्र मेला लगता है, जिसमें भारत, भूटान सहित कई देशों से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं.

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हिंगलाज भवानी (पाकिस्तान)

देवी के शक्तिपीठों में से एक है पाकिस्तान के बलूचिस्तान (balochistan) का हिंगलाज माता मंदिर (Hinglaj Mata Mandir in Pakistan). मान्यता है कि यहां देवी का सिर गिरा था. बता दें कि देवी का यह शक्तिपीठ पाकिस्तान के तटीय प्रांत बलूचिस्तान के लसबेला कस्बे (Lasbela) में मौजूद है. हिंगलाज मंदिर पहुंचना अमरनाथ यात्रा से भी ज्यादा कठिन माना जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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