
Hindu Puja Rules: हर आस्थावान व्यक्ति की ख्वाहिश होती है कि उसके द्वारा ईश्वर की जाने वाली ईश्वर की साधना-आराधना हमेशा सफल हो और उसे अपने आराध्य का आशीर्वाद मिलता रहे। इसके लिए वह प्रतिदिन अपने घर में बने पूजा घर में उनकी पूजा, सेवा, व्रत (Vrat), जप, प्रार्थना (Prayer) और आराधना आदि करता है, लेकिन कई बार जाने-अनजाने कुछेक ऐसी गलतियां हो जाती हैं जिसके कारण उसकी ईश्वरीय पूजा अधूरी रह जाती है. सनातन परंपरा में प्रत्येक देवी-देवता की पूजा के लिए कुछेक नियम बताएं गये हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है. आइए पूजा, आरती (aarti), जप आदि के जरिए की जाने वाली ईश्वरीय साधना से जुड़े 5 जरूरी नियमों के बारे में जानते हैं -

- हिंदू मान्यता के अनुसार किसी भी देवी या फिर देवता की साधना में तन और मन की पवित्रता जरूरी मानी गई है. ऐसे में हमेशा स्नान-ध्यान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके ही पूजा प्रारंभ करें. ईश्वर की पूजा हमेशा ईशान कोण में बैठकर पूरब या फिर उत्तर दिशा की ओर मुख करके करें. पूजा के दौरान आपको बार-बार उठने कारण व्यवधान न हो, इसके लिए आप अपने पास पूजा की सारी सामग्री एकत्रित करके रख लें और हमेशा पवित्र आसन पर बैठकर ही पूजा करें. यदि संभव हो तो पूजा के लिए उनी आसन का ही प्रयोग करें.
- पूजा के लिए प्रयोग में लाए हुए फूल एवं सामग्री को कभी भी न तो किसी नदी या पवित्र सरोवर में डालें और न ही किसी कूड़ेदान में डालें क्योंकि इन दोनों ही स्थिति में आप पुण्य की बजाय पाप (Sin) के भागीदार बनते हैं. पवित्र नदियों में पूजन सामग्री डालने पर जहां आप पर पवित्र नदियों को गंदा करने का पाप लगता है तो वहीं पवित्र चीजों को कूड़े में डालने का दोष तो होता ही है. ऐसी स्थिति में पूजन सामग्री हमेशा मिट्टी में दबा देना उचित रहता है.

- देवी या देवता की पूजा करते समय अपने आराध्य की प्रिय और निषेध चीजों का विशेष ख्याल रखें. जैसे शिव की पूजा में तुलसी और भगवान श्री विष्णु की पूजा में अक्षत भूलकर न चढ़ाएं. इसी प्रकार पुष्प, फल, और खाद्य पदार्थ का भी पूरा ख्याल रखें. कभी भूलकर भी बासी या खराब पुष्प और फल पूजा में न चढ़ाएं. ईश्वर की पूजा में कभी भी चोरी किए हुए अथवा बगैर आज्ञा के तोड़े हुए पुष्प और फल भी न चढ़ाएं.
- ईश्वर की पूजा में यदि आप जप करते हैं तो हमेशा उसके लिए एक अलग माला रखें और उसे हमेशा गोमुखी में डालकर जपें. कभी भूलकर भी पहनने वाली माला को जप के लिए प्रयोग में न लाएं. जप की प्रक्रिया हमेशा एक निश्चित समय पर एक निश्चित स्थान पर पूरा करें.
- ईश्वर की पूजा करते समय अपने मन को शांत रखें और किसी के प्रति द्वेष या फिर क्रोध न करें. ईश्वर की पूजा भले ही कम समय करें लेकिन हमेशा एकाग्र मन से ही करें. पूजा के अंत में ईश्वर की आरती और भूलचूक के लिए माफी मांगना न भूलें. ध्यान रहे कि पूजा में कभी भी एक दिये से दूसरा दिया न जलाएं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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