
Sindoor significance : हिंदू धर्म में सिंदूर का विशेष स्थान है. यह सुहागिन स्त्रियों के 16 श्रृंगार में पहले नंबर पर आता है. यह विवाह का प्रतीक है. मान्यताओं के अनुसार विवाह के बाद सिंदूर न लगाना अशुभ होता है. कहा जाता है कि सिंदूर लगाने से पति की लंबी आयु होती है. इससे पति की सुख-समृद्धि जुड़ी होती है. साथ ही सिंदूर विवाहित स्त्री के लिए भी बहुत लाभकारी है, लेकिन कई बार महिलाएं जल्दबाजी में गलत तरीके से सिंदुर लगा लेती हैं. जिसका उनपर और पति दोनों पर बुरा असर पड़ता है. इसलिए आज के इस लेख में हम आपको वास्तुलॉजी इंस्टाग्राम पेज पर शेयर किए एक वीडियो के माध्यम से बताएंगे सिंदूर लगाने का सही तरीका क्या है और इसे गलत ढंग से लगाने से क्या असर पड़ता है...
Apra ekadashi 2025 : अपरा एकादशी व्रत में क्या खाएं क्या नहीं, जानिए यहां
क्यों नहीं लगाना चाहिए जल्दबाजी में सिंदूर - Why you should not apply vermillion in a hurry
- सिंदूर लगाना सिर्फ एक परंपरा नहीं है बल्कि शक्ति है. सिंदूर की एक लाइन आपकी सुषुम्ना नाड़ी को सक्रिय करती है, मंगल को मजबूत करती है और आपको सकारात्मकता से जोड़ती है. यह आपके अंदर आध्यात्मिक ऊर्जा को सक्रिय करती है.
- सिंदूर आपको स्त्री होने का एहसास कराती है और आपकी वैवाहिक जीवन को भावनात्मक रूप से मजबूत करती है. यह आपकी नकारात्मकता को दूर करती है.

- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सिंदूर आपके मंगल ग्रह को मजबूत करता है. साथ ही इससे देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं. इसलिए आपको सिंदूर जल्दीबाजी में नहीं अप्लाई करना चाहिए, बल्कि पूरी श्रद्धा के साथ लगाएं.

- आपको बता दें कि सिंदूर सिर्फ मेकअप नहीं है, बल्कि एक ऊर्जा है, परंपरा और संस्कृति है जो आपके जीवन में ऊर्जा, प्रेम और दिव्य सुरक्षा का संचार करता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)