Kedarnath Temple: केदारनाथ मंदिर के कपाट 6 मई, 2022 को यानी आज भक्तों को भगवान शिव (Lord Shiv) के दर्शन-पूजन के लिए खोल दिए गए हैं. इसके पहले अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री (Gangotri) और यमुनोत्री (Yanumotri) के कपाट खोले गए थे. आगामी 8 मई को बाबा बद्रीनाथ मंदिर (Badrinath Temple) के कपाट भी खोल दिए जाएंगे. धार्मिक मान्यतानुसार केदारनाथ (Kedarnath Temple) को द्वादश ज्योतिर्लिंगों (Jyotirlinga) में 11वां माना जाता है. साथ ही यह सबसे पवित्र तीर्थस्थलों (Holy Pilgrimage) में से एक है. कहा जाता है कि केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) की कहानी बेहद अनोखी और दिलचस्प है. मान्यता है कि पांडवों ने केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Kedareshwar Jyotirlinga) के प्रचीन मंदिर का निर्माण करवाया था. आइए जानते हैं केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Mandir) के बारे में खास बातें.
केदारनाथ मंदिर की कथा (Kedarnath Temple Story)
केदारनाथ मंदिर के विषय में प्रचलित कथा के अनुसार, पांडवों की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव नें उन्हें हत्या के पाप से मुक्त कर दिया था. मान्यता है कि महाभारत के युद्ध में विजयी होने पर पांडव अपने भाईयों की हत्या से मुक्ति के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद पाना चाहते थे. परंतु, भगवान उनसे कर्म से खुश नहीं थे, इसलिए वे केदारनाथ चले गए.
पांडव भी उनके दर्शन के लिए केदारनाथ पहुंच गए. पांडवों को वहां पहुंचने पर भगवान शिव में भैंसे का रूप धारण कर लिया. जिसके बाद वे अन्य पशुओं के बीच में चले गए ताकि पांडल भगवान शिव के उस रूप को ना पहचान पाए. कहते हैं कि भीम ने विशालकाय शरीर धारण कर दो पहाड़ों पर अपने पैर फैला दिए.
जिसके बाद उस पहाड़ के नीचे से सभी पशु तो निकल गए, लेकिन वहां मौजूद एक भैंस ने ऐसा नहीं किया. जिसके बाद भीम पूरी शक्ति से भैंस की ओर झपटे, लेकिन वह जमीन में समाने लगा. तभी भीम ने उसकी की पीठ का पिछला हिस्सा पकड़ लिया. कहा जाता है कि भगवान शिव ने भैंसे का रूप बनाया था. मान्यता है कि भगवान शिव पांडवों की ईच्छाशक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन देकर हत्या के पाप से मुक्त होने का आशीर्वाद दिया. धार्मिक मान्यता है कि उसी समय से केदारानाथ में भैंस की पीठ को शिव का रूप मानकर पूजा होने लगी.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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