कामदा एकादशी चैत्र महीने में राम नवमी के बाद आती है
नई दिल्ली:
चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी को कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन व्रत रखने का विधान है. यह एकादशी चैत्र नवरात्र और रामनवमी के बाद आती है. इस बार 27 मार्च को कामदा एकादशी है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधिपूर्वक भगवान विष्णु की उपासना करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और प्रेत योनि से मुक्ति मिल जाती है.
मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से मिलती है पितरों को मुक्ति
कैसे करें कामदा एकादशी का व्रत?
कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. इस दिन तड़के सुबह उठकर पवित्र नदियों या किसी तीर्थ स्थान में स्नान करना अच्छा माना जाता है. अगर ऐसा करना मुमकिन न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगा जल छिड़क कर स्नान करना भी शुभ होता है. नहाने के बाद भगवान विष्णु का फल, फूल, दूध, पंचामृत और तिल से पूजन करें. तत्पश्चात सत्य नारायण की कथा पढ़ें. कामदा एकादशी का व्रत रखने वाले भक्त को इस दिन अनाज ग्रहण नहीं करना चाहिए. अगले दिन ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए.
कामदा एकादशी 2018 की तिथि और शुभ-मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 03 बजकर 43 मिनट (27 मार्च 2018)
एकादशी तिथि समाप्त: 01 बजकर 31 मिनट (28 मार्च 2018)
पारण का समय: 06 बजकर 59 मिनट से 08 बजकर 46 मिनट (28 मार्च 2018)
पारण के दिन हरि वास का समय समाप्त: 06 बजकर 59 मिनट (28 मार्च 2018)
रंगभरी एकादशी के दिन होती है भगवान विष्णु के प्रिय पेड़ आंवले की पूजा
कामदा एकादशी का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कामदा एकादशी का व्रत करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने करने से समस्त पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है.
कामदा एकादशी की व्रत कथा
प्राचीन काल में भोगीपुर नाम का एक नगर था. वहां राजा पुण्डरीक राज्य करते थे. इस नगर में अनेक अप्सरा, किन्नर तथा गंधर्व वास करते थे. उनमें से ललिता और ललित में अत्यंत स्नेह था. एक दिन गंधर्व ललित दरबार में गान कर रहा था कि अचानक उसे पत्नी ललिता की याद आ गई. इससे उसका स्वर, लय एवं ताल बिगड़ने लगे. इस त्रुटि को कर्कट नाम के नाग ने जान लिया और यह बात राजा को बता दी. राजा को बड़ा क्रोध आया और ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया. ललिता को जब यह पता चला तो उसे अत्यंत खेद हुआ. वह श्रृंगी ऋषि के आश्रम में जाकर प्रार्थना करने लगी. श्रृंगी ऋषि बोले, 'हे गंधर्व कन्या! अब चैत्र शुक्ल एकादशी आने वाली है, जिसका नाम कामदा एकादशी है. कामदा एकादशी का व्रत कर उसके पुण्य का फल अपने पति को देने से वह राक्षस योनि से मुक्त हो जाएगा.' ललिता ने मुनि की आज्ञा का पालन किया और एकादशी व्रत का फल देते ही उसका पति राक्षस योनि से मुक्त होकर अपने पुराने स्वरूप को प्राप्त हुआ.
मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से मिलती है पितरों को मुक्ति
कैसे करें कामदा एकादशी का व्रत?
कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. इस दिन तड़के सुबह उठकर पवित्र नदियों या किसी तीर्थ स्थान में स्नान करना अच्छा माना जाता है. अगर ऐसा करना मुमकिन न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगा जल छिड़क कर स्नान करना भी शुभ होता है. नहाने के बाद भगवान विष्णु का फल, फूल, दूध, पंचामृत और तिल से पूजन करें. तत्पश्चात सत्य नारायण की कथा पढ़ें. कामदा एकादशी का व्रत रखने वाले भक्त को इस दिन अनाज ग्रहण नहीं करना चाहिए. अगले दिन ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए.
कामदा एकादशी 2018 की तिथि और शुभ-मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 03 बजकर 43 मिनट (27 मार्च 2018)
एकादशी तिथि समाप्त: 01 बजकर 31 मिनट (28 मार्च 2018)
पारण का समय: 06 बजकर 59 मिनट से 08 बजकर 46 मिनट (28 मार्च 2018)
पारण के दिन हरि वास का समय समाप्त: 06 बजकर 59 मिनट (28 मार्च 2018)
रंगभरी एकादशी के दिन होती है भगवान विष्णु के प्रिय पेड़ आंवले की पूजा
कामदा एकादशी का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कामदा एकादशी का व्रत करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने करने से समस्त पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है.
कामदा एकादशी की व्रत कथा
प्राचीन काल में भोगीपुर नाम का एक नगर था. वहां राजा पुण्डरीक राज्य करते थे. इस नगर में अनेक अप्सरा, किन्नर तथा गंधर्व वास करते थे. उनमें से ललिता और ललित में अत्यंत स्नेह था. एक दिन गंधर्व ललित दरबार में गान कर रहा था कि अचानक उसे पत्नी ललिता की याद आ गई. इससे उसका स्वर, लय एवं ताल बिगड़ने लगे. इस त्रुटि को कर्कट नाम के नाग ने जान लिया और यह बात राजा को बता दी. राजा को बड़ा क्रोध आया और ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया. ललिता को जब यह पता चला तो उसे अत्यंत खेद हुआ. वह श्रृंगी ऋषि के आश्रम में जाकर प्रार्थना करने लगी. श्रृंगी ऋषि बोले, 'हे गंधर्व कन्या! अब चैत्र शुक्ल एकादशी आने वाली है, जिसका नाम कामदा एकादशी है. कामदा एकादशी का व्रत कर उसके पुण्य का फल अपने पति को देने से वह राक्षस योनि से मुक्त हो जाएगा.' ललिता ने मुनि की आज्ञा का पालन किया और एकादशी व्रत का फल देते ही उसका पति राक्षस योनि से मुक्त होकर अपने पुराने स्वरूप को प्राप्त हुआ.
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