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आज मनाया जा रहा है वट सावित्री का व्रत, इस बार पड़ रहे हैं 3 विशेष मुहूर्त

June vrat list 2024 : महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना लेकर ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वट सावित्री का व्रत रखती हैं.

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आज मनाया जा रहा है वट सावित्री का व्रत, इस बार पड़ रहे हैं 3 विशेष मुहूर्त
वट सावित्री व्रत में सुहागिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेती हैं.

Vat Savitri 2024 : महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना लेकर ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वट सावित्री का व्रत (Vat Savitri Vart) रखती हैं. इस बार वट सावित्री का व्रत 6 जून दिन गुरुवार को रखा जाएगा. इस दिन महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा कर देवी सावित्री के पतिव्रता धर्म का स्मरण कर अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं. आपको बता दें कि वट वृक्ष में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं, इस बार यह महत्वपूर्ण व्रत किस तिथि (Date of Vat Savitri Vart), मुहूर्त (Muhurat of Vat Savitri Vart) में रखा जाएगा. 

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वट सावित्री व्रत की तिथि - Date of Vat Savitri Vart

पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 5 जून की शाम 7 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी और 6 जून की शाम 6 बजकर 7 मिनट तक रहेगी. उदय तिथि के अनुसार वट सावित्री व्रत 6 जून को रखा जाएगा. इस बार वट सावित्री व्रत के तीन मुहूर्त खास बताए गए हैं.

पूजन मुहूर्त : गुली काल : सुबह 8.24 बजे से 10.06 बजे तक

अभिजीत मुर्हूत : सुबह 11.21 बजे से दोपहर 12.16 बजे तक

चर लाभ अमृत मुर्हूत : सुबह 10.06 बजे से दोपहर 3.13 बजे तक

वट वृक्ष की पूजा - Significance of Vat Puja- 

पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सावित्री ने पति को संकट से उबारने के लिए ने घोर तप किया जिससे प्रसन्न होकर यमराज ने पति सत्यवान के प्राण वट वृक्ष के नीचे ही लौटाए थे और वरदान भी दिया था कि जो सुहागिन वट वृक्ष की पूजा करेंगी उन्हें अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद मिलेगा.

कैसे करें वट वृक्ष की पूजा - Vat Savitri Vrat Puja vidhi

वट सावित्री व्रत में सुहागिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेती हैं. महिलाएं सोलह शृंगार कर दो टोकरी में पूजा का समान लेकर वट वृक्ष के नीचे बैठकर वट सावित्री की कथा सुनती हैं और वट वृक्ष को जल से सींचती हैं. इसके बाद वट वृक्ष को रोली,चंदन का टीका लगाती हैं और हाथ में कच्चा सूत लेकर वृक्ष में लपेटते हुए परिक्रमा करके पूजा संपन्न करती हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)  

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