Kaal Bhairav Jayanti 2025: पंचांग के अनुसार आज मार्गशीर्ष मास यानि अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है, जिसे काल भैरव जयंती के पावन पर्व के रूप में मनाया जाता है. यह महापर्व देवों के देव महादेव के रुद्रावतार भगवान काल भैरव को समर्पित है. हिंदू धर्म में भगवान भैरव की साधना सभी प्रकार के कष्ट, भय और दुखों को दूर करने वाली मानी गई है. भैरव की कृपा जिस साधक पर बरसती है, उसे जीवन और कुंडली से सारे दोष दूर हो जाते हैं और वह निर्भय होकर सुखी जीवन जीता है. आज भगवान काल भैरव की जयंती पर उनका आशीर्वाद पाने के लिए कैसे पूजा करनी चाहिए, आइए इसे विस्तार से जानते हैं.
भगवान काल भैरव की कैसे करें पूजा?
आज काल भैरव जयंती पर भगवान भैरव की पूजा का पुण्यफल पाने के लिए साधक को प्रात:काल स्नान करने के बाद किसी भैरव मंदिर में जाकर या फिर अपने घर में उनके चित्र पर गंगाजल छिड़कने के बाद फल-फूल, धूप-दीप, वस्त्र-भोग आदि अर्पित् करना चाहिए. आज भगवान भैरव को उनकी प्रिय चीज यानि इमरती या जलेबी जरूर चढ़ाएं. इसके बाद भगवान भैरव की चालीसा और भैरव अष्टकं पाठ करना चाहिए. पूजा के अंत में भगवान भैरव की श्रद्धापूर्वक आरती करना चाहिए.

भगवान भैरव का मंत्र
भगवान भैरव को प्रसन्न करने के लिए साधक को नीचे दिये गये किसी एक मंत्र को रुद्राक्ष की माला से जप करना चाहिए -
ॐ कालभैरवाय नमः.
ॐ ह्रीं भैरवाय नम:.
ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं.
ॐ भ्रं कालभैरवाय सर्व बाधा निवारणाय हुं फट्.
हर प्रहर में भगवान भैरव को दें तीन बार अर्घ्य
हिंदू मान्यता के अनुसार आज काल भैरव जयंती पर भगवान भैरव की कृपा पाने के लिए साधक को पूरे दिन विधि-विधान से व्रत रखते हुए प्रत्येक प्रहर में भगवान काल भैरव को नीचे दिये गये मंत्र से तीन बार अर्घ्य देना चाहिए
भगवान काल भैरव का पहला अर्घ्य मंत्र -
भैरवार्घ्यं गृहाणेश भीमरूपाव्ययानघ.
अनेनार्घ्यप्रदानेन तुष्टो भव शिवप्रिय.

भगवान काल भैरव का दूसरा अर्घ्य मंत्र -
सहस्राक्षिशिरोबाहो सहस्रचरणाजर.
गृहाणार्घ्यं भैरवेदं सपुष्पं परमेश्वर.
भगवान काल भैरव का तीसरा अर्घ्य मंत्र -
पुष्पांजलिं गृहाणेश वरदो भव भैरव.
पुनरर्घ्यं ग्रहणेदं सपुष्पं यातनापह.
भगवान काल भैरव की पूजा के लाभ
हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान काल की पूजा करने पर जीवन से जुड़े सारे भय दूर हो जाते हैं और साधक को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. काल भैरव की साधना व्यक्ति को कलयुग के कष्टों से बचाने वाली मानी गई है. मान्यता है कि जो कोई व्यक्ति पूरे विधि-विधान से काल भैरव जी की पूजा करता है, उसे राहु और शनि जैसे क्रूर ग्रह का कोई दोष नहीं लगता है और वह सुखी और निर्भय जीवन जीता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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