Ganesh chaturthi: आप जब भी गणेश भगवान (ganesh chaturthi) के चेहरे के बारे में सोचते होंगे आपको एक बड़ा सा सिर, लंबा सूढ़, बड़ा सा कान और एक टूटा हुआ दांत दिखता होगा. यहां तक कि घर में लगे किसी फोटो में भी आप यही देखते होंगे. दादी- नानी से भी आपने उनके इसी रूप की कहानियां सुनी होंगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एकमात्र (temple where human face of ganesh is found) ऐसा मंदिर भी है जहां गणेश भगवान का मानवीय चेहरा (human face of ganesh) देखने को मिलता है. यानीी उनका चेहरा बिल्कुल एक साधारण मनुष्य के तरह दिखाई देता है. चलिए आपको बताते हैं कि भारत के किस कोने में स्थित है यह मंदिर.
तमिलनाडु के इस जिले में स्थित है ये मंदिर
हर मंदिर की अपनी एक खासियत और पौराणिक महत्व होता है. उन्हीं मंदिरों में शामिल है तमिलनाडु के तिरुवरूर जिले में स्थित आदि विनायक मंदिर. यहां गणेश जी की प्रतिमा एक नए रूप में विराजमान है. यहां गणेश भगवान की मूर्ति सूढ़ और दांत की नहीं बल्कि मनुष्य की है. और इसलिए दुनिया के कोने-कोने से लोग भगवान गणेश के इस नए रूप का दर्शन करने इस मंदिर में आते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ था और यह तमिलनाडु राज्य के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है.
मनुष्य रूप प्रतिमा की क्या है कहानी
ये तो आप जानते होंगे कि भगवान शिव ने गुस्से में आकर गणेश जी के गर्दन को धड़ से अलग कर दिया था. जिसके बाद देवताओं के सुझाव पर गणेश भगवान को हाथी का सिर लगाया गया. तब से लेकर हर फोटो, हर मंदिर में आपको गणेश जी की यही प्रतिमा देखने को मिलेगी. लेकिन आदि विनायक मंदिर में ऐसा नहीं है, यहां ऐसी मान्यता है कि गणेश भगवान को हाथी का मुख लगाने से पहले उनका चेहरा एक इंसान का था इसलिए यहां गणपति जी के इंसान के चेहरे वाली मूर्ति को ही पूजा जाता है.
तमिलनाडु के इस अनोखे आदि विनायक मंदिर में पाए जाने वालें गणेश भगवान की प्रतिमा भी अनोखी है. इस मूर्ति को ग्रेनाइट का इस्तेमाल करके बनाया गया है. जहां भगवान गणेश के एक हाथ में कुल्हाड़ी है वहीं दूसरे हाथ में उन्होंने अपना पसंदीदा भोजन मोदक लिया हुआ है.
पितरों की शांति के लिए भी होती है पूजाकहा जाता है कि एक बार भगवान राम ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए आदि विनयगर मंदिर में पूजा करवाई थी. तब से इस मंदिर में लोग अपने पितरों की शांति की पूजा- पाठ करवाने आते हैं. पूजा नदी के किनारे की जाती है. वैसे तो ये मंदिर बहुत साधारण दिखाई देता है लेकिन लोगों के बीच में इसकी बहुत लोकप्रियता है. (प्रस्तुति - रौशनी सिंह)
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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