फाइल फोटो
खबर है कि ओडिशा के पुरी में स्थित विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर की मरम्मत रोक दी गई है। इसे रोकने का आदेश ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने दिया है।
एएसआई के इस निर्णय से सबसे अधिक पीड़ा राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को हुई है। इस बाबत उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर गुहार की है कि यदि जगन्नाथ मंदिर की मरम्मत का काम शीघ्र शुरू नहीं हुआ तो अनिष्ट आ सकता है।
कहीं कोणार्क मंदिर की तरह बंद न हो जाए यह मंदिर...
मुख्यमंत्री पटनायक ने पत्र में यह भी कहा है कि मंदिर के मरम्मत में आने वाला संपूर्ण खर्च उनकी सरकार वहन करने को तैयार है। गौरतलब है एएसआई ने मंदिर की मरम्मत का अनुमानित खर्च लगभग 2.5 करोड़ रुपए आंका है।
पत्र में कोणार्क के सूर्य मंदिर का उदाहरण पेश करते हुए कहा गया है कि यह यूनेस्को हेरिटेज स्थल समय रहते मरम्मत नहीं हो पाने के कारण आखिरकार श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दी गई।
नब्बे की दशक से गिर रहा मंदिर की छत से मलबा
उल्लेखनीय है कि लगभग दो महीने बाद यहां विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा का आयोजना होना है। ऐन दो महीने पहले एएसआई ने जगन्नाथ मंदिर की मरम्मत रोकने का आदेश क्यों दिया, यह पूरी तरह साफ़ नहीं है। बस यह कहा गया कि मंदिर के कमजोर ढांचे का फिर से अध्ययन करने की आवश्यकता है।
गौरतलब है कि नब्बे की दशक से इस मंदिर की छतों से मलबे का गिरना जारी है, जो हाल के वर्षों में बढ़ गया है। इसके चलते इसकी तुरंत मरम्मत की स्थिति खड़ी हो गई है।
यह भी पढ़ें: ये हैं पुरी के जगन्नाथ मंदिर के रहस्य, जिन्हें जानकर आप रह जायेंगे दंग
कभी भी गिर सकता है मंदिर, तुरंत मरम्मत जरुरी: विशेषज्ञ एपी गुप्ता
कुछ महीने पूर्व आईआईटी-खड़गपुर के सिविल इंजीनियर और मंदिर विशेषज्ञ एपी गुप्ता ने कहा था कि 12वीं सदी के इस मंदिर को अगर गिरने से बचाना है तो इसकी मरम्मत तुरंत की जानी चाहिए।
एपी गुप्ता की राय में मंदिर के जगमोहन सभा हॉल की सही ढंग से मरम्मत होनी चाहिए। 12वीं सदी के इस मंदिर की मरम्मत में और देर नहीं की जा सकती है।
बिगड़ती ही जा रही है मंदिर की स्थिति: सुरेश महापात्र
मंदिर के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी सुरेश महापात्र का कहना है कि मंदिर की स्थिति दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है। यदि मंदिर की मरम्मत रोकी गई तो भगवान ही जाने क्या होगा!
उनका कहना हम एएसआई की कीमत चुकाने को तैयार हैं। इसके लिए एक करोड़ रुपया अलग रख रखा है, ताकि मरम्मत में कोई रूकावट न आए।
एएसआई के इस निर्णय से सबसे अधिक पीड़ा राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को हुई है। इस बाबत उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर गुहार की है कि यदि जगन्नाथ मंदिर की मरम्मत का काम शीघ्र शुरू नहीं हुआ तो अनिष्ट आ सकता है।
कहीं कोणार्क मंदिर की तरह बंद न हो जाए यह मंदिर...
मुख्यमंत्री पटनायक ने पत्र में यह भी कहा है कि मंदिर के मरम्मत में आने वाला संपूर्ण खर्च उनकी सरकार वहन करने को तैयार है। गौरतलब है एएसआई ने मंदिर की मरम्मत का अनुमानित खर्च लगभग 2.5 करोड़ रुपए आंका है।
पत्र में कोणार्क के सूर्य मंदिर का उदाहरण पेश करते हुए कहा गया है कि यह यूनेस्को हेरिटेज स्थल समय रहते मरम्मत नहीं हो पाने के कारण आखिरकार श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दी गई।
नब्बे की दशक से गिर रहा मंदिर की छत से मलबा
उल्लेखनीय है कि लगभग दो महीने बाद यहां विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा का आयोजना होना है। ऐन दो महीने पहले एएसआई ने जगन्नाथ मंदिर की मरम्मत रोकने का आदेश क्यों दिया, यह पूरी तरह साफ़ नहीं है। बस यह कहा गया कि मंदिर के कमजोर ढांचे का फिर से अध्ययन करने की आवश्यकता है।
गौरतलब है कि नब्बे की दशक से इस मंदिर की छतों से मलबे का गिरना जारी है, जो हाल के वर्षों में बढ़ गया है। इसके चलते इसकी तुरंत मरम्मत की स्थिति खड़ी हो गई है।
यह भी पढ़ें: ये हैं पुरी के जगन्नाथ मंदिर के रहस्य, जिन्हें जानकर आप रह जायेंगे दंग
कभी भी गिर सकता है मंदिर, तुरंत मरम्मत जरुरी: विशेषज्ञ एपी गुप्ता
कुछ महीने पूर्व आईआईटी-खड़गपुर के सिविल इंजीनियर और मंदिर विशेषज्ञ एपी गुप्ता ने कहा था कि 12वीं सदी के इस मंदिर को अगर गिरने से बचाना है तो इसकी मरम्मत तुरंत की जानी चाहिए।
एपी गुप्ता की राय में मंदिर के जगमोहन सभा हॉल की सही ढंग से मरम्मत होनी चाहिए। 12वीं सदी के इस मंदिर की मरम्मत में और देर नहीं की जा सकती है।
बिगड़ती ही जा रही है मंदिर की स्थिति: सुरेश महापात्र
मंदिर के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी सुरेश महापात्र का कहना है कि मंदिर की स्थिति दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है। यदि मंदिर की मरम्मत रोकी गई तो भगवान ही जाने क्या होगा!
उनका कहना हम एएसआई की कीमत चुकाने को तैयार हैं। इसके लिए एक करोड़ रुपया अलग रख रखा है, ताकि मरम्मत में कोई रूकावट न आए।
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