Holi 2023 : कृष्ण भगवान संग होली खेलने जा रही हैं तो कुछ इस तरीके से कान्हा को रंगे रंग

Kanha Holi 2023 : बदलते जमाने के साथ भगवान के साथ रंग खेलने के तरीके में भी बदलाव आया है. इस लेख में हम आपको श्री कृष्ण को कैसे रंग लगाएं उसके बारे में बताने जा रहे हैं ताकि आप अपने प्यारे भगवान को रंग से सराबोर कर सकें.

Holi 2023 : कृष्ण भगवान संग होली खेलने जा रही हैं तो कुछ इस तरीके से कान्हा को रंगे रंग

holi 2023: आज बिरज में होरी रे रसिया होरी रे रसिया बरजोरी रे रसिया....,

Krishna Holi : किसी भी त्योहार की शुरूआत भगवान की पूजा अर्चना के साथ की जाती है. दिपावली में गणेश-लक्ष्मी की पूजा के साथ सेलिब्रेशन शुरू होता है तो होली में कान्हा के साथ रंग खेलने के साथ रंगोत्सव की शुरूआत की जाती है. बदलते जमाने के साथ भगवान (KANHA HOLI 2023) के साथ रंग खेलने के तरीके में भी बदलाव आया है. इस लेख में हम आपको श्री कृष्ण को कैसे रंग लगाएं उसके बारे में बताने जा रहे हैं ताकि आप अपने प्यारे भगवान को रंग से सराबोर कर सकें.

ऐसे खेलें कान्हा के साथ होली

  • सिल्वर रंग की छोटी सी बाल्टी लेनी है उसमें रंग भरकर रखना है. फिर सीरिंज को उसमें डूबोकर पिचकारी की तरह कान्हा को रंगों से रंग देना है. आप यहां दी गई वीडियो में देख सकते हैं कैसे रंग लगाना है.

  • इस लेख में हम आपको होली का मजा दोगुना करने के लिए यहां पर कान्हा से जुड़े कुछ होली गीतों की लिस्ट भी दे रहे हैं जिसे बजाकर आप रंगोत्सव में डूब सकते हैं...

1- आज बिरज में होरी रे रसिया होरी रे रसिया बरजोरी रे रसिया 
कौन के हाथ कनक पिचकारी, कौन के हाथ कमोरी रे रसिया॥
कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी, राधा के हाथ कमोरी रे रसिया॥ 
अपने-अपने घर से निकसीं, कोई श्यामल, कोई गोरी रे रसिया॥
उड़त गुलाल लाल भये बादर, केशर रंग में घोरी रे रसिया॥ 
बाजत ताल मृदंग झांझ ढप, और नगारे की जोड़ी रे रसिया॥ 
कै मन लाल गुलाल मँगाई, कै मन केशर घोरी रे रसिया॥ 
सौ मन लाल गुलाल मगाई, दस मन केशर घोरी रे रसिया॥
‘चन्द्रसखी' भज बाल कृष्ण छबि, जुग-जुग जीयौ यह जोरी रे रसिया॥ 

2- होरी खेलन आयौ श्याम, आज याहि रंग में बोरौ री॥ 
कोरे-कोरे कलश मँगाओ, रंग केसर घोरौ री।
रंग-बिरंगौ करौ आज कारे तो गौरौ री॥ होरी.
पार परौसिन बोलि याहि आँगन में घेरौ री।
पीताम्बर लेओ छीनयाहि पहराय देउ चोरौ री॥ होरी.
हरे बाँस की बाँसुरिया जाहि तोर मरोरौ री।
तारी दे-दै याहि नचावौ अपनी ओड़ौ री॥ होरी.
‘चन्द्रसखी' की यही बीनती करै निहोरौ री।
हा-हा खाय परै जब पइयां तब याहि छोरौ री॥ होरी.

3- मैं होरी कैसे खेलूँ री जा साँवरिया के संग रंग मैं होरी
कोरे-कोरे कलश मँगाये उनमें घोरौ रंग।
भर पिचकारी ऐसी मारी चोली हो गई तंग॥ रंग में.
नैनन सुरमा दाँतन मिस्सी रंग होत भदरंग।
मसक गुलाल मले मुख ऊपर बुरौ कृष्ण कौ संग॥ रंग में
तबला बाज सारंगी बाजी और बाजी मृदंग।
कान्हा जी की बाँसुरी बाजे राधाजी के संग॥ रंग में
चुनरी भिगोये, लहँगा भिगोये छूटौ किनारी रंग।
सूरदास कौ कहा भिगोये कारी कामर अंग॥ रंग में


 

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