विज्ञापन

Dussehra 2025: कुल्लू समेत किन शहरों का दशहरा देखे बगैर अधूरा है आपका विजयादशमी उत्सव?

Dussehra celebrations in India: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाने वाला दशहरा या फिर कहें विजयादशमी सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति, परंपरा और सामाजिक जुड़ाव का प्रतीक है. कुल्लू और मैसूर समेत ​तमाम शहरों में मनाया जाने वाला दशहरा क्यों मशहूर है, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख. 

Dussehra 2025: कुल्लू समेत किन शहरों का दशहरा देखे बगैर अधूरा है आपका विजयादशमी उत्सव?
Dussehra 2025: देश ही नहीं दुनिया भर में मशहूर है भारत के इन शहरों का दशहरा.

Dussehra celebrations in India : दशहरा या फिर कहें विजयादशी का पावन पर्व सिर्फ सनातन परंपरा से जुड़ी आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की लोक संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है. यह पर्व हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है और इसे ‘विजयादशमी' के नाम से भी जाना जाता है. यह दिन अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है और इसलिए देशभर में इसे अलग-अलग रूपों में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. 

दशहरे का सबसे लोकप्रिय रूप उत्तर भारत में देखने को मिलता है, जहां रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है. इस आयोजन से पहले रामलीला का मंचन होता है, जिसमें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन इससे इतर भारत के तमाम शहरों में इसी दशहरे का अलग ही आकर्षण देखने को मिलता है. आइए भारत के विभिन्न शहरों में मनाए जाने वाले दशहरे खास बातें और उससे जुड़ी परंपराओं के बारे में विस्तार से जानते हैं. 

Latest and Breaking News on NDTV

मैसूर का शाही दशहरा (कर्नाटक)

दक्षिण भारत के मैसूर शहर में दशहरे को एक भव्य शाही आयोजन के रूप में मनाया जाता है. दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव की शुरुआत मैसूर पैलेस को रोशनी से सजाने के साथ होती है. यहां का मुख्य आकर्षण ‘जंबू सवारी' है, जिसमें सजाए गए हाथी पर देवी चामुंडेश्वरी की प्रतिमा को बिठाकर पूरे शहर में जुलूस निकाला जाता है. इस उत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारंपरिक नृत्य, संगीत, और स्थानीय कला का प्रदर्शन किया जाता है. देश-विदेश से लाखों पर्यटक इस आयोजन को देखने के लिए यहां आते हैं.

Latest and Breaking News on NDTV

कुल्लू का अंतरराष्ट्रीय दशहरा (हिमाचल प्रदेश)

हिमाचल प्रदेश का कुल्लू दशहरा भी अपनी विशिष्ट पहचान रखता है. यहां का उत्सव मनाली के हिडिंबा मंदिर में पूजा के साथ शुरू होता है. इसके बाद आस-पास के गांवों से लाई गई देवी-देवताओं की मूर्तियों के साथ एक भव्य जुलूस निकाला जाता है. यह जुलूस कुल्लू के मैदान में एकत्र होता है, जिसे 'दशहरा मैदान' कहा जाता है. उत्सव के अंत में व्यास नदी के किनारे प्रतीकात्मक रूप से लंका दहन किया जाता है. कुल्लू दशहरा को अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है और इसे देखने के लिए विदेशों से भी लोग आते हैं.

Latest and Breaking News on NDTV

राम की महिमा में रमा उत्तर भारत का दशहरा 

दिल्ली, वाराणसी, प्रयागराज और भगवान राम की नगरी अयोध्या जैसे शहरों में दशहरा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. यहां मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की कथा रामलीला समितियों द्वारा भव्य मंचन किया जाता है. सदियों से चले आ रही रामलीला सिर्फ धार्मिक कार्यक्रम नहीं बल्कि सामाजिक संवाद का भी जरिया बनती है. रामनगर की रामलीला को देखने के लिए सिर्फ देश ही नहीं विदेश से भी लोग पहुंचते हैं तो वहीं प्रयागराज के दशहरे की अपनी अलग रौनक होती है. यहां पर भगवान राम के जीवन प्रसंगों को आकर्षक चौकियों के जरिए दिखाया जाता है. 

बस्तर का विशेष दशहरा (छत्तीसगढ़)

बस्तर का दशहरा देश के अन्य भागों से बिल्कुल अलग है. यहां यह पर्व करीब 75 दिनों तक मनाया जाता है. यह उत्सव देवी दंतेश्वरी के सम्मान में होता है, जो बस्तर की आराध्य देवी मानी जाती हैं. इस दौरान देवी की रथयात्रा निकाली जाती है और विभिन्न जनजातियां अपनी पारंपरिक वेशभूषा और संगीत के साथ इसमें भाग लेती हैं. बस्तर दशहरा आदिवासी संस्कृति की झलक प्रस्तुत करता है और यह अपने आप में एक अनोखा अनुभव होता है.

Latest and Breaking News on NDTV

पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा

पश्चिम बंगाल में दशहरा और दुर्गा पूजा एक दूसरे का पर्याय माने जाते हैं. नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा होती है और दशमी के दिन उनकी प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है. खास बात यह है कि इस दिन महिलाएं 'सिंदूर खेला' नामक रस्म निभाती हैं, जिसमें वे एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर देवी दुर्गा को विदाई देती हैं. कोलकाता और आसपास के क्षेत्रों में बने भव्य पंडाल, मूर्तियों की कलाकारी और सांस्कृतिक कार्यक्रम यहां का मुख्य आकर्षण होते हैं.

विजयवाड़ा का दशहरा (आंध्र प्रदेश)

विजयवाड़ा में कनक दुर्गा मंदिर में दशहरे के समय विशेष आयोजन होते हैं. यहां देवी को दस दिनों तक विभिन्न रूपों में सजाया जाता है. हर दिन का एक विशेष रूप होता है, जैसे बालात्रिपुरसुंदरी, अन्नपूर्णा, दुर्गा, काली आदि. यहां देवी के दर्शन और पूजन के लिए बड़ी संख्या में भक्त मंदिर पहुंचते हैं. 

Latest and Breaking News on NDTV

गुजरात और महाराष्ट्र की परंपराएं

गुजरात और महाराष्ट्र में दशहरे के समय डांडिया की धूम रहती है. यहां नवरात्रि की शुरुआत से ही गरबा और डांडिया प्रारंभ हो जाता है. जिसमें लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर रातभर नृत्य करते हैं. महाराष्ट्र में लोग दशहरे के दिन को बेहद खास माना जाता है. इस दिन लोग जहां नए कार्यों की शुरुआत करते हैं, वहीं इस दिन शस्त्रों की विशेष रूप से पूजा भी की जाती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com