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Holi 2205 : कहां गाई जाती है 'फाग' और इन रसीले गीतों में होता है किनका वर्णन

Fag Song : होली पर कई तरह के गीत और गाने सुनने को मिलते हैं. इनमें सबसे खास हैं फाग. फाल्गुन महीने में गाए जाने के कारण इन गीतों को फाग कहते हैं. यह गीत ढोलक और मंजीरे की संगत पर गाए जाते हैं

Holi 2205 : कहां गाई जाती है 'फाग' और इन रसीले गीतों में होता है किनका वर्णन
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होली मनाए जाने वाले त्योहार का रंग फाल्गुन मास शुरू होते ही चढ़ने लगता है.

Faag Song on Holi :  होली पर खास तरह के गीत गाने की भी परंपरा लोकप्रिय है. इस बार होली का त्योहार 14 मार्च (Kab Hi Holi 2025) को मनाया जाएगा. होली पर कई तरह के गीत और गाने सुनने को मिलते हैं. इनमें सबसे खास हैं फाग (Holi Par Fag). फाल्गुन महीने में गाए जाने के कारण इन गीतों को 'फाग' कहते हैं. खासकर बिहार और यूपी में गाए जाने वाले फाग गीत ढोलक और मंजीरे की संगत पर गाए जाते हैं और गाने वालों से लेकर सुनने वाले सभी इन गीतों की मस्ती में झूम उठते हैं. फाग के बिना होली अधूरी मानी जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं फाग गीतों (Fag Gane) से जुड़ी बातें.

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क्या है फाग?  Faag Geet

  • होली पर उत्तर प्रदेश और बिहार में गाए जाने वाले पारंपरिक गीतों को 'फाग' कहते हैं.
  • कई फाग गीतों की शुरुआत जागिरा सररर....से होती है. इसके बाद होली से जुड़ी लाइनें होती हैं.
  • पूर्वी उत्तर प्रदेश के पूर्व से लेकर बिहार तक फाग की गूंज के बैगर जैसे होली अधूरी रहती है
  • फाग की परंपरा अवध, ब्रज, बुंदेलखंड, राजस्थान और हरियाणवी राग में भी है.
  • फाग में राम, कृष्ण, राधा रानी, शिव-पार्वती से लेकर चिरई, सुग्गा, संपिनिया-बीछी, गांव-दुआर और खेत-खिलिहान का भी जिक्र भी मिलता है.
  • फाग में खासकर भंग, चंग, अंग, रंग और तरंग का मेलजोल होता है.

होली के रंग

  • फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होली मनाए जाने वाले त्योहार का रंग फाल्गुन मास शुरू होते ही चढ़ने लगता है.
  • देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह की होली खेलने की परंपरा है. ब्रज की लठमार होली, उत्तराखंड में कुमांऊनी होली, राजस्थान की शाही होली, मध्य प्रदेश में भगोरिया पर्व, महाराष्ट्र में रंग पंचमी, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम की दोल जात्रा, गोवा में शिग्मो, आंध्र प्रदेश में मेदुरू होली, कर्नाटक में होली हब्बा.
  • होली में गाए जाने वाले गीत भी हर राज्यों में अलग-अलग होते हैं. आमतौर पर गीत स्थानीय बोली में ही गाए जाते हैं, जिसमें भोजपुरी, अवधी, ब्रज, गढ़वाली, कुमाऊनी, बुंदेलखंडी आदि शामिल हैं.

इन राज्यों में गाए जाने वाले फाग

बुंदेलखंड फाग गीत

 ‘फाल्गुन के महीना रसीले घर नही आए छैला छबीले...'

वृंदावन के फाग गीत

‘आज बिरज में होली रे रसिया..'

मसान की होली

‘खेले मसाने में होरी, दिगंबर खेले मसाने में होरी..'

मिथिल होली फाग गीत

 ‘राम खेले होली..'

होली के कुछ प्रसिद्ध फाग गीत - famous Holi Fag Geet

1. काहे खातिर राजा रूसे काहे खातिर रानी।

काहे खातिर बकुला रूसे कइलें ढबरी पानी॥ जोगीरा सररर....

राज खातिर राजा रूसे सेज खातिर रानी।

मछरी खातिर बकुला रूसे कइलें ढबरी पानी॥ जोगीरा सररर....

केकरे हाथे ढोलक सोहै, केकरे हाथ मंजीरा।

केकरे हाथ कनक पिचकारी, केकरे हाथ अबीरा॥

राम के हाथे ढोलक सोहै, लछिमन हाथ मंजीरा।

भरत के हाथ कनक पिचकारी, शत्रुघन हाथ अबीरा॥

2. आज बिरज में होली रे रसिया,

होली रे रसिया, बरजोरी रे रसिया.

उड़त गुलाल लाल भए बादर,

केसर रंग में बोरी रे रसिया.

बाजत ताल मृदंग झांझ ढप,

और मजीरन की जोरी के रसिया.

फेंक गुलाल हाथ पिचकारी,

मारत भर भर पिचकारी रे रसिया.

इतने आए कुंवरे कन्हैया,

उतसों कुंवरि किसोरी रे रसिया।

नंदग्राम के जुरे हैं सखा सब,

बरसाने की गोरी रे रसिया.

दौड़ मिल फाग परस्पर खेलें,

कहि कहि होरी होरी रे रसिया.

3. गौरी संग लिए शिवशंकर खेलें फाग

केकर भीगे हो लाली चुनरिया?

केकर भीगे हो लाली चुनरिया?

केकरा भीगे ल सिर पाग?

केकरा भीगे ल सिर पाग?

गौरी संग लिए शिवशंकर खेलें फाग.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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