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This Article is From Mar 18, 2021

Holashtak 2021: 21 मार्च से शुरू होगा होलाष्टक, जानिए इस अवधि में क्यों नहीं करना चाहिए शुभ काम

Holashtak 2021 Date: हिन्दू पंचांग के अनुसार, होलाष्टक की शुरुआत होलिका दहन के सात दिन पहले और होली के त्योहार से आठ दिन पहले होती है.

Holashtak 2021: 21 मार्च से शुरू होगा होलाष्टक,  जानिए इस अवधि में क्यों नहीं करना चाहिए शुभ काम
Holashtak 2021: 21 मार्च से शुरू होगा होलाष्टक.
नई दिल्ली:

Holashtak 2021: हिन्दू पंचांग के अनुसार, होलाष्टक की शुरुआत होलिका दहन के सात दिन पहले और होली के त्योहार से आठ दिन पहले होती है. पारंपरिक रूप से इसका समापन धुलेंडी के दिन होता है. चूंकि इसकी शुरुआत फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से होती और यह सीधे तौर पर होली से संबंधित है, इसलिए इसे होलाष्टक कहते हैं. इस साल होलाष्टक 21 मार्च 2021 से प्रारंभ हो रहा है, जो 28 मार्च तक रहेगा. वास्तव में होलाष्टक, होली के आगमन का पूर्व-सूचक है और इसका होलिका दहन से गहरा संबंध है, क्योंकि इसी दिन से होलिका दहन की विधिवत तैयारियां शुरू हो जाती हैं.

होलाष्टक में क्यों नहीं किए जाते शुभ काम?
रंग और उल्लास के पर्व होली से संबंधित होने के बावजूद होलाष्टक की अवधि यानी इसके आठ दिन शुभ नहीं माने जाते हैं. इस दौरान हिन्दू धर्म के 16 संस्कारों में से किसी भी संस्कार को संपन्न करने की मनाही होती है. यह निषेध अवधि होलाष्टक के दिन से लेकर होलिका दहन के दिन तक रहती है. होलाष्टक मुख्य उत्तरी भारत में मनाया जाता है. दक्षिण भारत और कुछ अन्य स्थानों पर होलाष्टक नहीं मानते हैं, लिहाजा वहां ऐसा कोई निषेध नहीं है.

प्रचलित रिवाज के अनुसार, होलाष्टक के पहले दिन होलिका दहन के लिए 2 डंडे स्थापित किये जाते हैं, जिसमें से एक को होलिका और दूसरे को प्रह्लाद माना जाता है. हिन्दू धर्म की शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार, जिस क्षेत्र में होलिका दहन के लिए ये डंडे स्थापित किये जाते हैं, उस क्षेत्र में होलिका दहन तक कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है. क्योंकि, सनातन धर्म में होलिका दहन को दाहकर्म और मृत्यु का सूचक माना गया है.

होलाष्टक में नहीं करने चाहिए ये कार्य
शास्त्रों के अनुसार, होलाष्टक के दौरान विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन, जमीन का सौदा, नामकरण, विद्यारंभ आदि सभी मांगलिक कार्यों को वर्जित माना गया है. 

होलाष्टक में क्या करें
होलाष्टक के दौरान पूजा-पाठ करना और भगवान का स्मरण भजन करना शुभ माना जाता है. यह समय व्रत, पूजन और हवन की दृष्टि से अच्छा माना गया है. मान्यता है कि इन दिनों दान करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है.
 

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