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Hariyali Teej के दिन जरूर गाएं ये भजन और झूला गीत, बिना इसके अधूरा माना जाता है व्रत, यहां पढ़िए Lyrics

हरियाली तीज के दिन महिलाएं झूला झूलते हुए गीत और भजन गाती हैं, जो उनके अंदर उत्साह और उमंग को बढ़ाता है और उनकी इच्छा शक्ति को मजबूत करता है.

Hariyali Teej के दिन जरूर गाएं ये भजन और झूला गीत, बिना इसके अधूरा माना जाता है व्रत, यहां पढ़िए Lyrics
आज हम इस आर्टिकल में कुछ फेमस झूला गीत और भजन के बोल साझा कर रहे हैं.

Hariyali Teej Geet and bhajan Lyrics : हरियाली तीज का पर्व हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला व्रत करती हैं. हरियाली तीज व्रत में झूला झूलने की भी परंपरा है. इस दौरान महिलाएं झूला झूलते हुए गीत और भजन गाती हैं, जो उनके अंदर उत्साह और उमंग को बढ़ाता है और उनकी व्रत की इच्छा शक्ति को मजबूत करता है. ऐसे में आज हम इस आर्टिकल में कुछ फेमस झूला गीत और भजन के बोल साझा कर रहे हैं, जो आप हरियाली तीज पर गाकर व्रत को खास बना सकती हैं. 

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हरियाली तीज गीत और भजन

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झूला पड्यो है कदम्ब की डार,
झुलावे ब्रज नारी,
ब्रज नारी रे ब्रज नारी,
ब्रज नारी सखियाँ सारी,
 झूला पड्यो हैं कदम्ब की डार,
झुलावे ब्रज नारी ॥

रेशम की सखी डोरी पड़ी है,
मोतियन से कैसी पटरी जड़ी है,
वा में बैठे युगल सरकार,
झुलावे ब्रज नारी,
झूला पड्यो हैं कदम्ब की डार,
झुलावे ब्रज नारी ॥

मधुर मधुर श्याम बंसी बजावत,
बंसी बजावत रस बरसावत,
नन्ही नन्ही पड़त है फुहार,
झुलावे ब्रज नारी,
झूला पड्यो हैं कदम्ब की डार,
झुलावे ब्रज नारी ॥

श्याम राधिका झूला झूले,
गोपी ग्वाल देखे फुले,
सब गावत है मल्हार,
झुलावे ब्रज नारी,
झूला पड्यो हैं कदम्ब की डार,
झुलावे ब्रज नारी ॥

झूला पड्यो है कदम्ब की डार,
झुलावे ब्रज नारी,
ब्रज नारी रे ब्रज नारी,
ब्रज नारी सखियाँ सारी,
झूला पड्यो हैं कदम्ब की डार,
झुलावे ब्रज नारी ॥

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झूला झूलै नंदलाल, संग राधा गुजरी
कहैं राधा जी पुकार, पेगें मारऽ सरकार
उड़े पगिया तोहार, मोरी उड़े चुनरी

सुनके कृष्ण मुरार, माने बतिया हमार
बाजी मुरली तोहार, हम गाईं कजरी

झींगुर बोले चारू ओर नाचे बनवा में मोर
रास अजब रचावे, 'महादेव' के तरसावे
ऐसन बाँसुरी बजावेऽ, ओढ़ी कमरी

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देखो सावन में हिंडोला झूलैं मन्दिर में गोपाल।
राधा जी तहाँ पास बिराजैं ठाड़ी बृज की बाल।।

सोना रूपा बना हिंडोला, पलना लाल निहार।
जंगाली रंग, सजा हिंडोला, हरियाली गुलज़ार।।

भीड़ भई है भारी, दौड़े आवैं, नर और नार।
सीस महल का अजब हिंडोला, शोभा का नहीं पार ।।

फूल काँच मेहराब जु लागी पत्तन बांधी डार।
रसिक किशोरी कहै सब दरसन करते ख़ूब बहार।।

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छाई घटा घनघोर बन में, बोलन लागे मोर।
रिमझिम पनियां बरसै जोर मोरे प्यारे बलमू।।

धानी चद्दर सिंआव, सारी सबज रंगाव।
वामें गोटवा टकाव, मोरे बारे बलमू।।

मैं तो जइहों कुंजधाम, सुनो कजरी ललाम।
जहाँ झूले राधे-श्याम, मोरे बारे बलमू।।

बलदेव क्यों उदास पुनि अइहौ तोरे पास।
मानो मोरा विसवास, मोरे बारे बलमू।।

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हरि बिन जियरा मोरा तरसे, सावन बरसै घना घोर।
रूम झूम नभ बादर आए, चहुँ दिसी बोले मोर।
रैन अंधेरी रिमझिम बरसै, डरपै जियरा मोर।।

बैठ रैन बिहाय सोच में, तड़प तड़प हो भोर।
पावस बीत्यौ जात, श्याम अब आओ भवन बहोर।।

आओ श्याम उर सोच मिटाऔ, लागौं पैयां तोर।
हरिजन हरिहिं मनाय 'हरिचन्द' विनय करत कर जोर।।

हरियाली तीज शिव पार्वती भजन

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पार्वती बोली शंकर से,
पार्वती बोली शंकर से,
सुनिये भोलेनाथ जी,
रहना है हर एक जन्म में,
मुझे तुम्हारे साथ जी,
वचन दीजिये न छोड़ोगे,
कब हमारा हाथ जी....

ओ भोलेनाथ जी,
ओ शम्भू नाथ जी,
ओ भोलेनाथ जी,
ओ शंकरनाथ जी।

जैसे मस्तक पर चंदा है,
गंगा बसी जटाओ में,
वैसा रखना है अभिनाशी,
मुझे प्रेम की छाँव में...

कोई नही तुमसा तीनो,
लोको में दसो दिशाओ में,
महलो से ज्यादा सुख हिया,
कैलाश की खुली हवा में....

रहना है हर एक जन्म में,
मुझे तुम्हारे साथ जी,
वचन दीजिये न छोड़ोगे,
कब हमारा हाथ जी....

ओ भोलेनाथ जी,
ओ शम्भू नाथ जी,
ओ भोलेनाथ जी,
ओ शंकरनाथ जी।

देव हो तुम देवो के भोले,
अमर हो अंतर यामी हो,
भाग्यवान है हम त्रिपुरारी,
आप हमारे स्वामी हो...

पुष्प विमानों से प्यारी,
हमको नंदी की सवारी जी,
युगों युगों से पार्वती,
भोले तुमपे बलिहारी....

जब लाओ तुम ही लाना,
जब लाओ तुम ही लाना,
द्वारे मेरे बारात जी...

ओ भोलेनाथ जी,
ओ भोलेनाथ जी,
ओ शम्भू नाथ जी,
ओ भोलेनाथ जी,
ओ शंकरनाथ जी।

प्राण मेरे बस्ते है तुममे,
तुम बिन मेरी नही गति,
अन्नि कुण्ड में होके भस्म,
तुम हुई थी मेरी लिए सती....

शिव बिन जैसे शक्ति अधूरी,
शक्ति बिन शिव आधे है,
जनमो तक ना टूटेगे ये,
जनम जनम के नाते है....

तुम ही मेरे संध्या हो गोरी,
तुम ही मेरी प्रभात जी,
वचन है मेरा ना छोड़ूगा,
कभी तुम्हारा हाथ जी,
सदा रहे है सदा रहेगे,
गोरी शंकर साथ जी....

है गोरा पार्वती,
है गोरा पार्वती,
जी भोलेनाथ जी,
जी भोले नाथ जी,

ओ भोलेनाथ जी,
ओ शम्भू नाथ जी,
ओ भोलेनाथ जी,
ओ शंकरनाथ जी,

ओ मेरा भोला है,
मेरे साथ साथ,
मैं झूम झूम के नाचु,

मैं झूम झूम के नाचु,
अरे घूम घूम के नाचू,

मेरा भोला हो मेरा भोला,
मेरा भोला है,
मेरे साथ साथ,
मैं झूम झूम के नाचु,

ओ भोलेनाथ जी,
ओ शम्भू नाथ जी।

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पार्वती बोली शंकर से,
पार्वती बोली शंकर से,
सुनिये भोलेनाथ जी,
रहना है हर एक जन्म में,
मुझे तुम्हारे साथ जी,
वचन दीजिये न छोड़ोगे,
कब हमारा हाथ जी....

ओ भोलेनाथ जी,
ओ शम्भू नाथ जी,
ओ भोलेनाथ जी,
ओ शंकरनाथ जी।

जैसे मस्तक पर चंदा है,
गंगा बसी जटाओ में,
वैसा रखना है अभिनाशी,
मुझे प्रेम की छाँव में...

कोई नही तुमसा तीनो,
लोको में दसो दिशाओ में,
महलो से ज्यादा सुख हिया,
कैलाश की खुली हवा में....

रहना है हर एक जन्म में,
मुझे तुम्हारे साथ जी,
वचन दीजिये न छोड़ोगे,
कब हमारा हाथ जी....

ओ भोलेनाथ जी,
ओ शम्भू नाथ जी,
ओ भोलेनाथ जी,
ओ शंकरनाथ जी।

देव हो तुम देवो के भोले,
अमर हो अंतर यामी हो,
भाग्यवान है हम त्रिपुरारी,
आप हमारे स्वामी हो...

पुष्प विमानों से प्यारी,
हमको नंदी की सवारी जी,
युगों युगों से पार्वती,
भोले तुमपे बलिहारी....

जब लाओ तुम ही लाना,
जब लाओ तुम ही लाना,
द्वारे मेरे बारात जी...

ओ भोलेनाथ जी,
ओ भोलेनाथ जी,
ओ शम्भू नाथ जी,
ओ भोलेनाथ जी,
ओ शंकरनाथ जी।

प्राण मेरे बस्ते है तुममे,
तुम बिन मेरी नही गति,
अन्नि कुण्ड में होके भस्म,
तुम हुई थी मेरी लिए सती....

शिव बिन जैसे शक्ति अधूरी,
शक्ति बिन शिव आधे है,
जनमो तक ना टूटेगे ये,
जनम जनम के नाते है....

तुम ही मेरे संध्या हो गोरी,
तुम ही मेरी प्रभात जी,
वचन है मेरा ना छोड़ूगा,
कभी तुम्हारा हाथ जी,
सदा रहे है सदा रहेगे,
गोरी शंकर साथ जी....

है गोरा पार्वती,
है गोरा पार्वती,
जी भोलेनाथ जी,
जी भोले नाथ जी,

ओ भोलेनाथ जी,
ओ शम्भू नाथ जी,
ओ भोलेनाथ जी,
ओ शंकरनाथ जी,

ओ मेरा भोला है,
मेरे साथ साथ,
मैं झूम झूम के नाचु,

मैं झूम झूम के नाचु,
अरे घूम घूम के नाचू,

मेरा भोला हो मेरा भोला,
मेरा भोला है,
मेरे साथ साथ,
मैं झूम झूम के नाचु,

ओ भोलेनाथ जी,
ओ शम्भू नाथ जी।

नित गंगा जमुना जाती थी,
जल भर भर कर वो लाती थी,
निर्जल रहकर निश्छल मन से,
नित ध्यान प्रभू का धरती थी,
छोटी सी मेरी पारवती,
शंकर की पूजा करती थी ॥

नित बाग़ बगीचा जाती थी,
वो भांग धतूरा लाती थी,
निर्जल रहकर निश्छल मन से,
नित ध्यान प्रभू का धरती थी,
छोटी सी मेरी पारवती,
शंकर की पूजा करती थी ॥

छोटी सी मेरी पार्वती,
शंकर की पूजा करती थी,
निर्जल रहकर निश्छल मन से,
नित ध्यान प्रभू का धरती थी,
छोटी सी मेरी पारवती,
शंकर की पूजा करती थी ॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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