Guru Pradosh Vrat 2023: आज है गुरु प्रदोष व्रत, जानिए मान्यतानुसार व्रत शुरु करने के बाद उद्यापन कब करना चाहिए

Guru Pradosh Vrat: गुरुवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहते हैं. मान्यतानुसार इस व्रत को रखने वाले जातक को मिलता है भोलेनाथ का आशीर्वाद. 

Guru Pradosh Vrat 2023: आज है गुरु प्रदोष व्रत, जानिए मान्यतानुसार व्रत शुरु करने के बाद उद्यापन कब करना चाहिए

Pradosh Vrat 2023 February: जानिए कब प्रदोष व्रत का करना चाहिए उद्यापन.  

Pradosh Vrat: माघ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदिशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. गुरुवार के दिन पड़ने के चलते इस व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहते हैं. आज 2 फरवरी के दिन दोपहर 4 बजकर 27 मिनट से गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat) का प्रारंभ हो रहा है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. माना जाता है कि जो जातक भोलेनाथ का व्रत रख उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं उनपर भोलेनाथ (Bholenath) की विशेष कृपा होती है और आशीर्वाद भी मिलता है. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने पर पापों से मुक्ति भी मिल जाती है. जानिए गुरु प्रदोष व्रत पर कितनी अवधि तक व्रत रखने के बाद उद्यापन (Udyapan) करना चाहिए जिसका अच्छा फल मिल सके. 

फरवरी में इन 13 दिनों में बन रहे हैं विवाह के शुभ मुहूर्त, जानिए गृह प्रवेश कब करना रहेगा सही

गुरु प्रदोष व्रत आरंभ से उद्यापन तक 


मान्यतानुसार प्रदोष व्रत को रखने से पूर्व अपने अंतर्मन में इस व्रत का उद्देश्य निर्धारित किया जाता है. अपनी मनोकामना को व्रत से पहले सोच लेने पर मनोकामना की पूर्ति की इच्छा और ऊर्जा के साथ प्रदोष व्रत रखा जाता है. इसके बाद ही श्रद्धापूर्वक प्रदोष व्रत की शुरूआत होती है. इस व्रत में भक्त निराहार रहकर भोलेनाथ का पूजन करते हैं. 


प्रदोष व्रत की पूजा (Pradosh Vrat Puja) में सुबह-सवेरे उठकर नहाया जाता है और स्वच्छ वस्त्र पहनकर व्रत का प्रण लेते हैं. इसके पश्चात भगवान शिव के मंदिर जाकर या फिर घर में भोलेनाथ की पूजा की जाती है. प्रदोष काल में पूजा करने के बाद भोलेनाथ की आरती होती है और भक्त दिनभर में भगवान शिव के भजन सुनते हैं और कथा भी पढ़ते हैं. पूजा के समय भोलेनाथ को जो भोग लगाया गया है उसे प्रसाद के रूप में व्रत रखने वाले व्यक्ति का वितरित करना बेहद शुभ माना जाता है. 

उद्यापन की बात करें तो इस व्रत को 11 या फिर 26 बार रखने के बाद उद्यापन कर सकते हैं. व्रत को त्रयोदिशी तिथि पर ही रखा जाता है और 11 या 26 त्रयोदिशी तिथि के बाद विधि-विधान से उद्यापन किया जाता है. उद्यापन यूं तो किसी भी त्रयोदिशी तिथि पर हो सकता है लेकिन खासतौर से माघ माह में उद्यापन करने की विशेष मान्यता होती है और इसे अत्यंत लाभकारी भी माना जाता है. 

बच्चे को आए दिन लग जाती है नजर तो जान लें ये 5 उपाय, हर बुरी बला से बचेगा आपका नन्हा-मुन्ना 

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)