नई दिल्ली:
तमिल नाडु के वेल्लोर नगर के मलाईकोड़ी पहाड़ो पर स्थित है महालक्ष्मी मंदिर. सालभर यह मंदिर भक्तों से भरा रहता है. कई-कई दिन तो यहां लाखों की संख्या से ज़्यादा भक्त मौजूद रहते हैं. इसकी वजह सिर्फ माता लक्ष्मी नहीं, बल्कि इस मंदिर का सोने से बनाए जाना भी है. जी हां, यह मंदिर 15 हज़ार किलो सोने से बना है. इसी वजह से इसे दक्षिण भारत का स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है.
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100 एकड़ से ज़्यादा क्षेत्र में फैला यह मंदिर चारों तरफ से हरियाली से घिरा हुआ है. आस-पस हरियाली और बीच में 15 हज़ार किलोग्राम शुद्ध सोने से बना यह मंदिर रात के वक्त रोशनी में बहुत खूबसूरत दिखता है. इस मंदिर को सुबह 4 से 8 बजे तक अभिषेक के लिए और सुबह 8 से रात के 8 बजे तक दर्शन के लिए खोला जाता है. इस मंदिर को और खूबसूरत बनाने के लिए इसके बाहरी क्षेत्र को सितारे का आकार दिया गया है.
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ऐसा कहा जाता है कि यह विश्व का एकलौता ऐसा मंदिर है जिसमें इतने सोने का प्रयोग हुआ है. अमृतसर के गोल्डन टेम्पल में भी सिर्फ 750 किलो की सोने की छतरी लगी हुई है. इस महालक्ष्मी मंदिर में हर एक कलाकृति हाथों से बनाई गई है. इस मंदिर को भक्तों के लिए 2007 में खोला गया था. रात के समय यहां भक्तों की संख्या ज़्यादा रहती है, क्योंकि इस वक्त सोने से बने पूरे मंदिर को रोशनी से जगमगाया जाता है, जो अद्भुत ही नज़ारा है.
इस मंदिर के सबसे पास काटपाडी रेलवे स्टेशन है. इस स्टेशन से 7 किलोमीटर की दूरी पर ही ये मंदिर स्थित है. इसके अलावा यहां पहुंचने के लिए तमिल नाडु से कई और मार्ग भी हैं. यहां सड़क और वायु मार्ग से भी पहुंचा जा सकता है.
देखें वीडियो - अमृतसर का स्वर्ण मंदिर क्यों खो रहा है चमक?
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100 एकड़ से ज़्यादा क्षेत्र में फैला यह मंदिर चारों तरफ से हरियाली से घिरा हुआ है. आस-पस हरियाली और बीच में 15 हज़ार किलोग्राम शुद्ध सोने से बना यह मंदिर रात के वक्त रोशनी में बहुत खूबसूरत दिखता है. इस मंदिर को सुबह 4 से 8 बजे तक अभिषेक के लिए और सुबह 8 से रात के 8 बजे तक दर्शन के लिए खोला जाता है. इस मंदिर को और खूबसूरत बनाने के लिए इसके बाहरी क्षेत्र को सितारे का आकार दिया गया है.
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ऐसा कहा जाता है कि यह विश्व का एकलौता ऐसा मंदिर है जिसमें इतने सोने का प्रयोग हुआ है. अमृतसर के गोल्डन टेम्पल में भी सिर्फ 750 किलो की सोने की छतरी लगी हुई है. इस महालक्ष्मी मंदिर में हर एक कलाकृति हाथों से बनाई गई है. इस मंदिर को भक्तों के लिए 2007 में खोला गया था. रात के समय यहां भक्तों की संख्या ज़्यादा रहती है, क्योंकि इस वक्त सोने से बने पूरे मंदिर को रोशनी से जगमगाया जाता है, जो अद्भुत ही नज़ारा है.
इस मंदिर के सबसे पास काटपाडी रेलवे स्टेशन है. इस स्टेशन से 7 किलोमीटर की दूरी पर ही ये मंदिर स्थित है. इसके अलावा यहां पहुंचने के लिए तमिल नाडु से कई और मार्ग भी हैं. यहां सड़क और वायु मार्ग से भी पहुंचा जा सकता है.
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