Shani Jayanti 2022: ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को शनि जयंती (Shani Jayanti) मनाई जाती है. इस बार शनि जयंती पर सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasta 2022) और वट सावित्री व्रत (Vat savitri Vrat 2022) का भी खास संयोग बन रहा है. मान्यता है कि ज्येष्ठ अमावस्या को शनि देव (Shani Dev) का जन्म हुआ था. हिंदू धर्म शास्त्रों में शनि देव को कर्मफलदाता कहा गया है, वे लोगों को उसके कर्मों का फल प्रदान करते हैं. ऐसे में जो व्यक्ति अच्छे कर्मों के साथ अपना जीवन व्यतीत करते हैं, उन पर शनि देव प्रसन्न रहते हैं. वहीं जो लोग बुरे कर्मों में लिप्त रहते हैं, उन पर शनि देव की टेढ़ी नजर रहती है. हर इंसान से जाने अनजाने के में कुछ गलत कर्म हो जाते हैं, इसलिए बुरे कर्मों का प्रायश्चित करने के लिए शनि जयंती (Shani Jayanti 2022) खास मानी जाती है. शनि देव की कृपा पाने के लिए शनि जयंती पर कुछ उपाय किए जाते हैं. कहा जाता है कि इन उपायों को करने से शनि की साढ़ेसाती (Shani Sadesati), ढैय्या (Dhaiya) और शनि दोष (Shani Dosh) से राहत मिलती है.
शनि जयंती 2022 उपाय | Shani Jayanti 2022 Upay
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक शनि देव (Shani Dev) को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए शनि जयंती (Shani Jayanti) खास मानी जाती है. इस दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए सबसे पहले उनकी पूजा की जाती है. इसके बाद उन्हें नीले फूल, काली उड़द, शमी के पत्ते, काले तिल, सरसों का तेल अर्पित किए जाते हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष के छुटकारा मिल जाता है.
शनि जयंती पर अगर बहुत अधिक नहीं कर सकते हैं तो किसी शनि मंदिर (Shani Mandir) में जाकर शनि देव को प्रमाण करें. साथ ही उनके सामने एक दीपक जलाएं. शनि देव के निमित्त दीपक में सरसों के तेल का इस्तेमाल करना अच्छा माना गया है.
शनि जयंती के दिन छाया दान का भी खास महत्व बताया गया है. ऐसे में इस दिन छाया दान करने के लिए एक बड़ा सा मिट्टी का दीपक लिया जाता है. उसमें सरसों का तेल भरने के बाद उसमें अपनी छाया देखी जाती है. उसके बाद उसे दान कर दिया जाता है. कहा जाता है कि छाया दान करने से शनि ढैय्या और साढ़साती का प्रभाव कम हो जाता है. साथ ही शनि की पीड़ा से राहत मिलती है.
शनि की पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए हनुमान जी (Haniman Ji) को चमेली का तेल अर्पित किया जाता है. शनि जयंती के दिन भक्त शनि मंदिर में जाकर सरसों के तेल से उनका अभिषेक करते हैं. कहा जाता है कि ऐसा करने से शनि की पीड़ा से राहत मिलती है.
शनि जयंती पर शाम के वक्त शमी (Shami) के पेड़ या पीपल (Peepal) के नीचे सरसों या तिल के तेल का दीया जलाने की भी परंपरा है. मान्यता है कि शनि जयंती पर यह काम करने से शनि देव की आशीर्वाद मिलता है. साथ भी शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है.
शनि जयंती पर शनि देव की विशेष कृपा पाने के लिए भक्त इस दिन शनि मंत्र का जाप करत हैं. शनि की पीड़ा से राहत पाने के लिए इस दिन 'ओम् प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः' का जाप किया जाता है.
शनि जयंती पर शनि देवी की पूजा के बाद दान भी किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन शनि से संबंधित चीजों का करने से शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. इस दिन जरुरतमंदो के बीच काले वस्त्र, काला तिल, लोहा, उड़द और शनि चालीसा इत्यादि वस्तुएं दान की जाती है. कहा जाता है कि ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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