उत्तराखंड की उंची पहाड़ियों पर स्थित हिंदुओं की आस्था के प्रतीक भगवान बदरीनाथ के कपाट इस वर्ष छह मई को खुलेंगे. बसंत पंचमी के मौके पर निकाले गए एक मुहूर्त के अनुसार, मंदिर के कपाट तड़के सवा चार बजे श्रद्वालुओं के लिये खोल दिए जाएंगे. सर्दियों में भीषण ठंड और बर्फवारी की चपेट में रहने के कारण बदरीनाथ समेत गढवाल के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित सभी चारों धामों के कपाट हर साल अक्टूबर-नवंबर में श्रद्वालुओं के लिये बंद कर दिये जाते हैं जो अगले साल अप्रैल-मई में दोबारा खोले जाते हैं.
बदरीनाथ हिंदुओं का सबसे बड़ा धाम है और इसे मोक्ष धाम भी कहा जाता है. मान्यता है कि यहां जाने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. अन्य दो धामों, उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट इस साल अक्षय तृतीया के दिन श्रद्वालुओं के लिये खुलेंगे जबकि केदारनाथ धाम के खुलने का मुहुर्त महाशिवरात्रि के पर्व पर निकाला जायेगा.
हर साल अप्रैल-मई से अक्टूबर-नवंबर के बीच के छह माह के चार धाम यात्रा सीजन में देश विदेश से लाखों श्रद्वालु और पर्यटक इन धामों के दर्शन के लिये पहुंचते हैं और इसे गढ़वाल क्षेत्र की आर्थिकी की रीढ़ माना जाता है.
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बदरीनाथ हिंदुओं का सबसे बड़ा धाम है और इसे मोक्ष धाम भी कहा जाता है. मान्यता है कि यहां जाने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. अन्य दो धामों, उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट इस साल अक्षय तृतीया के दिन श्रद्वालुओं के लिये खुलेंगे जबकि केदारनाथ धाम के खुलने का मुहुर्त महाशिवरात्रि के पर्व पर निकाला जायेगा.
हर साल अप्रैल-मई से अक्टूबर-नवंबर के बीच के छह माह के चार धाम यात्रा सीजन में देश विदेश से लाखों श्रद्वालु और पर्यटक इन धामों के दर्शन के लिये पहुंचते हैं और इसे गढ़वाल क्षेत्र की आर्थिकी की रीढ़ माना जाता है.
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