फाइल फोटो
गोपेश्वर:
उत्तराखंड की उंची पहाड़ियों पर स्थित भगवान विष्णु के विश्वप्रसिद्व धाम बदरीनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के मद्देनजर आज श्रद्धालुओं के लिये बंद होने के साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा का समापन हो गया.
श्रीबदरीनाथ़-केदारनाथ मंदिर समिति के विशेष कार्याधिकारी बीडी सिंह ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री हरीश रावत सहित हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में मंदिर के रावल ईश्वर प्रसाद नम्बूदरी ने परंपरागत पूजा अर्चना के बाद अपराह्न 3. 45 मिनट पर बदरीनाथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिये बंद कर दिये गये.
मौजूद थे देश विदेश से आये हजारों श्रद्धालु
बदरीनाथ धाम में ठंड के बावजूद सुबह से ही कपाट बंद होने के मौके पर होने वाली विशिष्ट पूजाओं में सम्मिलित होने के लिये देश विदेश से आये हजारों श्रद्धालु मौजूद थे. हालांकि, कपाट बंद होने के दौरान सुहावनी धूप निकलने से मौसम खुशगवार हो गया था.
सेना की गढ़वाल स्काउट की बैंड पार्टी इस दौरान परंपरागत वाद्य यंत्रों से मधुर धुन बजाती रही. कपाट बंद होने के मौके पर भगवान बदरी विशाल का पीले गेंदे के फूलों से पुष्प श्रृंगार किया गया था जबकि पूरा मंदिर परिसर भी पीले गेंदे के फूलों से सजाया गया था.
शीतकाल में बदरीनाथ की पूजा जोशीमठ में
इस मौके पर मुख्यमंत्री रावत के अलावा मंदिर समिति के पदाधिकारी और चमोली जिला प्रशासन के अधिकारी भी उपस्थित रहे.
शीतकाल के दौरान बदरीनाथ की पूजा जोशीमठ के ज्योर्तियमठ में होगी. बदरीनाथ के कपाट बंद होने के साथ ही इस साल की चारधाम यात्रा का भी समापन हो गया. चारधामों में से तीन अन्य धाम पहले ही श्रद्धालुओं के लिये बंद किये जा चुके हैं.
गढ़वाल हिमालय की आर्थिकी की रीढ़ है चारधाम यात्रा
गंगोत्री मंदिर के कपाट जहां दीवाली के अगले दिन अन्नकूट पर्व पर बंद हुए थे, वहीं यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट भैयादूज पर बंद हुए थे.
शीतकाल के दौरान भारी बर्फवारी की चपेट में रहने के कारण चारों धामों के कपाट श्रद्धालुओं के लिये बंद कर दिये जाते हैं जो अगले साल अप्रैल-मई में फिर खोल दिये जाते हैं. छह माह के यात्रा सीजन के दौरान इन धामों के दर्शन के लिये देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटक आते हैं. चारधाम यात्रा को गढ़वाल हिमालय की आर्थिकी की रीढ़ माना जाता है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
श्रीबदरीनाथ़-केदारनाथ मंदिर समिति के विशेष कार्याधिकारी बीडी सिंह ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री हरीश रावत सहित हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में मंदिर के रावल ईश्वर प्रसाद नम्बूदरी ने परंपरागत पूजा अर्चना के बाद अपराह्न 3. 45 मिनट पर बदरीनाथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिये बंद कर दिये गये.
मौजूद थे देश विदेश से आये हजारों श्रद्धालु
बदरीनाथ धाम में ठंड के बावजूद सुबह से ही कपाट बंद होने के मौके पर होने वाली विशिष्ट पूजाओं में सम्मिलित होने के लिये देश विदेश से आये हजारों श्रद्धालु मौजूद थे. हालांकि, कपाट बंद होने के दौरान सुहावनी धूप निकलने से मौसम खुशगवार हो गया था.
सेना की गढ़वाल स्काउट की बैंड पार्टी इस दौरान परंपरागत वाद्य यंत्रों से मधुर धुन बजाती रही. कपाट बंद होने के मौके पर भगवान बदरी विशाल का पीले गेंदे के फूलों से पुष्प श्रृंगार किया गया था जबकि पूरा मंदिर परिसर भी पीले गेंदे के फूलों से सजाया गया था.
शीतकाल में बदरीनाथ की पूजा जोशीमठ में
इस मौके पर मुख्यमंत्री रावत के अलावा मंदिर समिति के पदाधिकारी और चमोली जिला प्रशासन के अधिकारी भी उपस्थित रहे.
शीतकाल के दौरान बदरीनाथ की पूजा जोशीमठ के ज्योर्तियमठ में होगी. बदरीनाथ के कपाट बंद होने के साथ ही इस साल की चारधाम यात्रा का भी समापन हो गया. चारधामों में से तीन अन्य धाम पहले ही श्रद्धालुओं के लिये बंद किये जा चुके हैं.
गढ़वाल हिमालय की आर्थिकी की रीढ़ है चारधाम यात्रा
गंगोत्री मंदिर के कपाट जहां दीवाली के अगले दिन अन्नकूट पर्व पर बंद हुए थे, वहीं यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट भैयादूज पर बंद हुए थे.
शीतकाल के दौरान भारी बर्फवारी की चपेट में रहने के कारण चारों धामों के कपाट श्रद्धालुओं के लिये बंद कर दिये जाते हैं जो अगले साल अप्रैल-मई में फिर खोल दिये जाते हैं. छह माह के यात्रा सीजन के दौरान इन धामों के दर्शन के लिये देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटक आते हैं. चारधाम यात्रा को गढ़वाल हिमालय की आर्थिकी की रीढ़ माना जाता है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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