फरवरी माह की शुरुआत माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के साथ हो रही है. आज से फरवरी माह की शुरुआत हो गई है. हिंदू धर्म में हर माह कई व्रत और त्योहार आते हैं. हर माह तिथि के हिसाब से मासिक व्रत (February Masik Vrat 2022) होते हैं. 16 फरवरी को माघ मास (Magh Month 2022) की समापन होगा और 17 फरवरी से फाल्गुन माह (Falgun Month 2022) की शुरुआत होगी. इस तरह माघ माह का आधा महीना फरवरी में फाल्गुल का आधा महीना फरवरी में निकलेगा. इस तरह फाल्गुन का आधा महीना भी फरवरी में ही शामिल रहेगा. चलिए विस्तार से जानते हैं कि फरवरी माह में पड़ने वाले प्रमुख व्रत और त्योहारों के बारे में और जानेंगे उनका धार्मिक महत्व.
फरवरी के व्रत और त्योहार | February Month Vrat And Festival
माघ गुप्त नवरात्रि – बुधवार, 2 फरवरी.
चतुर्थी व्रत – शुक्रवार, 4 फरवरी.
बसंत पंचमी – शनिवार, 5 फरवरी.
रथ सप्तमी, अचला सप्तमी – सोमवार, 7 फरवरी.
दुर्गा अष्टमी व्रत, भीष्म अष्टमी – मंगलवार, 8 फरवरी.
महानंदा नवमी – बुधवार, 9 फरवरी.
रोहिणी व्रत – गुरुवार, 10 फरवरी.
जया एकादशी – शनिवार, 12 फरवरी.
विश्वकर्मा जयंती, प्रदोष व्रत – सोमवार, 14 फरवरी.
माघ पूर्णिमा, गुरु रविदास जयंती, माघ स्नान समाप्त – बुधवार, 16 फरवरी.
संकष्टी चतुर्थी – रविवार, 20 फरवरी.
बुद्ध अष्टमी व्रत, कालाष्टमी – बुधवार, 23 फरवरी.
श्री रामदास नवमी – शुक्रवार, 25 फरवरी.
स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती – शनिवार, 26 फरवरी.
विजया एकादशी – रविवार, 27 फरवरी.
सोम प्रदोष व्रत – सोमवार, 28 फरवरी.
इन त्योहारों का है विशेष महत्व
गुप्त नवरात्रि
मां दुर्गा को समर्पित साल में चार बार नवरात्र आते हैं, जिनमें दो नवरात्रि चैत्र और शारदीय नवरात्र बहुत धूमधाम से मनाए जाते हैं. साल भर में आने वाले इन चारों नवरात्रि का अपना अलग महत्व है. बता दें कि नवरात्र माघ और आषाढ़ में गुप्त रूप से मनाए जाते हैं, जिनको गुप्त नवरात्र के नाम से जाना जाता है. इन गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है और ये पूजा तांत्रिक व ऋषि मुनि करते हैं. फरवरी के माह की शुरुआत का पहला व्रत गुप्त नवरात्रि का रखा जाएगा. इसमें विधि-विधान के साथ मां दुर्गा की पूजा की जाती है. कहते हैं गृहस्थ लोगों के लिए इन नवरात्र में पूजा-पाठ नहीं किया जाता है, क्योंकि मां की साधना गुप्त रूप से की जाती है. माघ मास की गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी से शुरू होगी और 11 फरवरी को समापन होगा.
मौनी अमावस्या
शास्त्रों में मौनी अमावस्या को विशेष मान्यता दी गई है. मान्यता है कि इस नदियों में देवताओं का वास होता है. इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है.
बसंत पंचमी
बसंत पंचमी मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस है. माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी कहा जाता है. इस दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा करने का विधान है. इस बार यह शुभ तिथि 5 फरवरी दिन शनिवार को है. बसंत पंचमी को श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि को ध्वनि प्रदान करने के लिए अपनी पुत्री सरस्वती को प्रकट किया था. इसी वजह से इस दिन को मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है.
अचला सप्तमी\रथ आरोग्य सप्तमी
माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी और रथ सप्तमी के नाम से जाना जाता है. इस बार यह शुभ तिथि 7 फरवरी दिन सोमवार को है. माना जाता है कि इस दिन नदियों में स्नान और सूर्य को अर्घ्य देने और दान पुण्य करने से व्यक्ति को आयु, आरोग्य और सुख समृद्धि प्राप्त होती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने दिव्य प्रकाश के साथ अवतरित हुए थे और इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने से ग्रहों की स्थिति अनुकूल रहती है. माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को माघी सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है. माघी सप्तमी को आरोग्य सप्तमी, भानु सप्तमी, अचला सप्तमी, रथ सप्तमी और पुत्र सप्तम के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन नमक का प्रयोग करना वर्जित बताया गया है.\
माघी पूर्णिमा
हिंदू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है. माघ मास में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को माघ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. शास्त्रों में माघी पूर्णिमा को लेकर कहा गया है कि इस दिन स्वयं भगवान श्री हरि विष्णु गंगा नदी में निवास करते हैं. इस दिन पवित्र नदियों के घाट पर उत्सव जैसा माहौल होता है. शास्त्रों में माघी पूर्णिमा को बहुत पुण्यदायी माना गया है. कहते हैं इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि माघी पूर्णिमा के दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आते हैं और पवित्र नदियों में स्नान कर दान व जप-तप करते हैं
इस दिन रविदास जयंती भी मनाई जाती है. महान संतों में संत रविदास की गिनती की जाती है. संत रविदास के शिष्य व उपासक इस दिन पूजा-पाठ करते हैं और लंगर भी लगाया जाता है.
एकादशी
वैसे तो 24 एकादशी होती हैं, लेकिन मलमास या अधिकमास की वजह से इनकी संख्या 26 हो जाती है. फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार यह शुभ तिथि 27 फरवरी दिन रविवार को है. हर माह में दो एकादशी पड़ती हैं. एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है. एकादशी व्रत को सभी व्रतों में उत्तम माना जाता है. सभी व्रतों में एकादशी के व्रत को श्रेष्ठ माना गया है. फरवरी के महीने में जया एकादशी और विजया एकादशी पड़ेंगी.
प्रदोष
हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. ये व्रत भगवान शिव को समर्पित है और हर मनोकामना को पूर्ण करने वाला माना गया है. कहते हैं इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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